उत्तराखंड सरकार ने कृषि उत्पाद विपणन समिति कानून (एपीएमसी) को काफी जद्दोजहद के बाद ठंडे बक्से में डाल दिया है।
मुख्यमंत्री बी सी खंडूड़ी की अध्यक्षता में संपन्न हुई राज्य की कैबिनेट बैठक में एपीएमसी कानून पर विचार किया जाना था। लेकिन इस कानून को राज्य में निर्मित की गई तीन सदस्यीय समिति को स्थांनातरित कर दिया गया। राज्य के कृषि मंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत इस समिति के संयोजक नियुक्त किये गए है।
राज्य के उच्च अधिकारियों का कहना है कि उत्तराखंड में रिलांयस फ्रेश के विरोध होने के कारण राज्य सरकार इच्छा होने के बावजूद रिलांयस रिटेल शोरुम को खोलने की मंजूरी प्रदान करने में दुविधा की स्थिति में है। यही कारण है कि सरकार राज्य में एपीएमसी कानून को लागू करने में अरुचि दिखा रही है। क्योंकि ऐसा करने से बड़ी कंपनियां जैसे रिलांयस, आईटीसी और मदर डेयरी राज्य के कृ षि क्षेत्र में सीधे हस्तक्षेप नहीं कर पायेंगी।
राज्य के कृषि विभाग के एक अधिकारी का कहना है कि ये कंपनियां राज्य में 2 हजार करोड़ रुपये का निवेश करने को तैयार है। कुछ समय पहले रिलांयस और आईटीसी ने राज्य में करार खेती करने की इच्छा जताई है। राज्य सरकार इस कारण भी एपीएमसी कानून को लाने में लेटलतीफी कर रही है। आईटीसी ने राज्य सरकार से 25 हजार टन गेंहू की सरकारी खरीद के लिए लाइसेंस प्राप्त किया है।
रिलांयस इंडस्ट्रीस लिमिटेड भी राज्य से खाद्य पदार्थ और फलों के उत्पादों को खरीदने के लिए प्रस्ताव लाने का मन बना रही है। इसके अलावा यह कंपनी राज्य के कृषि क्षेत्र में 12 सौ करोड़ रुपये निवेश करने का मन बना रही है।
एपीएमसी कानून के आने से राज्य में निजी मंडियों के खुलने के लिए रास्ता आसानी से तैयार हो जाएगा। इससे कार्पोरेट कंपनियां निजी मंडियों में किसानों से सीधे तौर पर अनाज की खरीद कर सकेंगी। एपीएमसी एक्ट में करार खेती, निजी मंडियों की स्थापना और सरकारी नियंत्रण वाली व निजी मंडियों के लिए नियामक संस्था के गठन के प्रावधान किये गए है।
अधिकारियों का कहना है कि निजी मंडियों में अतिरिक्त करों जैसे मंडी कर आदि नहीं लगेंगे। इससे उपभोक्ताओं को अंतिम तौर पर कम कीमत अदा करनी पड़ेगी। इससे किसानों को भी ज्यादा लाभ प्राप्त होगा। निजी क्षेत्र की कंपनियां इस नीति को जल्द से जल्द मंजूरी देने के लिए दबाव बना रही हैं, ताकि निवेश योजना को अमली जामा पहनाया जा सके।