देश के बड़े विश्वविद्यालयों में से एक बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के इंस्टीटयूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी (आईटी-बीएचयू) को जल्द ही भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) का दर्जा दिया जाएगा।
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत आईटी-बीएचयू को आईआईटी का दर्जा दिए जाने की अनुमति दे दी गई है। उल्लेखनीय है कि आईटी-बीएचयू को आईआईटी का दर्जा दिए जाने का विचार संभवत: 40 साल पहले रखा गया था।
इस विकास को लेकर आईटी-बीएचयू के छात्र व शिक्षक काफी उत्साहित है। उनका कहना है कि यह हमारे लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। आईटीआई का दर्जा दिए जाने के बाद संस्थान को वित्तीय और सामाजिक रूप से काफी फायदा होगा। आईटी-बीएचयू के निदेशक एस एन उपाध्याय ने बताया, ‘इस परिवर्तन के बाद संस्थान को आईआईटी की तर्ज पर ही फंड और ब्रांड इमेज हासिल होगी।
यही नहीं हमारे संस्थान को आईआईटी की तर्ज पर ही वित्तीय, शैक्षिक और प्रशासनिक अधिकार दिए जाएंगे।’ उम्मीद है कि आईआईटी का दर्जा मिलने के बाद सरकार द्वारा अगले शैक्षिक सत्र से अधिक राशि मुहैया कराएगी। वर्तमान में संस्थान को हर साल 50 करोड़ रुपये मिलते हैं। इस पहल के बाद संस्थान को हर साल करीब 110 करोड़ रुपये मुहैया करवाए जाएंगे। इंफ्रास्ट्रक्चर को बहाल करने के लिए भी संस्थान को फंड दिया जाएगा।