बड़ी रियल एस्टेट कंपनियां बाजार की हालत को समझते हुए हाउसिंग परियोजनाओं के दाम कम करने को राजी हैं लेकिन छोटी कंपनियों के लिए ऐसा करना मुश्किल हो रहा है।
हालांकि रियल एस्टेट बाजार की हालत को सुधारने के लिए बैंको ने होम लोन पर ब्याज दरें कम कर दी हैं, लेकिन बाजार सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। प्रॉपर्टी खरीदारों का तो अकाल पड़ गया है।
पिछले कुछ दिनों में प्रॉपर्टी की कीमतों में 25 से 30 फीसदी की कमी आई है, लेकिन कीमतें अभी भी आम लोगों के बूते से बाहर है। दूसरी तरफ बिल्डर भी अपने मुनाफा कम करने के लिए तैयार नहीं हैं।
दरअसल बड़ी परियोजनाओं में बिल्डरों ने काफी निवेश कर दिया है और अब अगर वे कीमतों में कमी करते हैं, तो जाहिर सी बात है कि मुनाफे की सारी तस्वीर ही बदल जाएगी।
हालांकि वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने यह इशारा कर दिया है कि अगर डेवलपर अपने मुनाफे को कम नहीं करते, तब तक उसे खरीदार नहीं मिलेगा। ब्याज दर कम होने या सरकारी शुल्कों में रियायत देने से प्रॉपर्टी बाजार में तब तक बहार नहीं आएगी, जब तक बिल्डर प्रॉपर्टी की कीमतों में कमी नहीं करते हैं।
एसवीपी लिमिटेड के सीईओ सुनील जिंदल ने कहा, ‘होम लोन की दर कम होने के बाद बाजार में पैसा तो आएगा, लेकिन जहां तक हाउसिंग परियोजनाओं पर छूट देने की बात है, तो छोटी कंपनियों को थोड़ा संभलकर चलना होगा। हम देखो और इंतजार करो की नीति अपनाएंगे। हमारे लिए किसी प्रकार की रियायत देना घाटे का सौदा साबित होगा।’
देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ, अंसल एपीआई और ओमेक्स हाउसिंग परियोजनाओं पर छूट देने को राजी हो गई हैं।
लैंडक्राफ्ट लिमिटेड के सीईओ मनु गर्ग ने कहा, ‘इस हालात में रियल एस्टेट बाजार में गति लाने के लिए दाम कम करना भी एक अच्छा कदम हो सकता है, लेकिन हमलोग इस तरह का निर्णय लेने से पहले बाजार का रुख देखना पसंद करेंगे।