उत्तर प्रदेश में स्थानीय निकाय प्राधिकारी क्षेत्र की 36 विधान परिषद सीटों के लिए हुए चुनावों में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने जबरदस्त सफलता हासिल की है जबकि समाजवादी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है। भाजपा ने इन चुनावों में 36 में से 33 सीटें जीत लीं हैं। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी में भाजपा को करारी हार का सामना करना पड़ा है जहां निर्दलीय प्रत्याशी को जीत मिली है। इस चुनाव के बाद भाजपा का उत्तर प्रदेश विधानसभा के साथ विधान परिषद में भी बहुमत हो गया है। विधान परिषद की 100 सीटों में अब भाजपा के 67 सदस्य हो गए हैं। स्थानीय प्राधिकारी निर्वाचन क्षेत्र की 36 विधान परिषद सीटों में नौ पर पहले ही भाजपा के प्रत्याशी निर्विरोध निर्वाचित हो चुके हैं। शेष 27 सीटों पर 9 अप्रैल को मतदान और मंगलवार को मतगणना हुई। भाजपा को इन चुनावों में 36 में से 33 सीटों पर सफलता मिली है जबकि तीन सीटें निर्दलीयों के हाथ लगी हैं।
सपा मुखिया अखिलेश यादव के क्षेत्र आजमगढ़ में निर्दलीय प्रत्याशी ने भाजपा को हराया है जबकि सपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर रहा है। प्रतापगढ़ जिले में बाहुबली रघुराज प्रताप सिंह राजा भैया की पार्टी जनसत्ता दल के अक्षय प्रताप सिंह को जीत मिली है और भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। वाराणसी, आजमगढ़ और प्रतापगढ़ में निर्दलीयों को जीत मिली है जबकि बाकी सभी जगहों पर भाजपा प्रत्याशियों ने जीत का परचम पहराया है। मंगलवार की जीत के बाद भाजपा का विधानसभा के साथ ही विधानपरिषद में भी बहुमत हो गया है। उत्तर प्रदेश में 1982 के बाद किसी भी दल को दोनों सदनों में बहुमत प्राप्त हुआ है। अब उत्तर प्रदेश विधानपरिषद में भाजपा के 67 सदस्य हो गए हैं। सपा के पास 17, बसपा चार, अपना दल, निषाद पार्टी व कांग्रेस के एक-एक सदस्य हैं। दो सदस्य शिक्षक दलों और पांच निर्दलीय सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश विधान परिषद में कुल 100 सदस्य होते हैं। वर्तमान में भाजपा के कुल 34 विधानपरिषद सदस्य थे।