ठाणे में कंटेनमेंट जोन घोषित वर्तक नगर के बाहरी इलाके में मैट्रेस की दुकान चलाने वाले मयूर मिश्रा चिंतित हैं क्योंकि उनके यहां पिछले तीन दिन में एक भी ग्राहक नहीं आया है। मिश्रा ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि मैं कैसे 10,000 रुपये किराया चुकाऊंगा। मैं लॉकडाउन के दौरान भी किराया नहीं दे पाया था। मालिक ने मुझे किस्तों में भुगतान करने को कहा है। अगर मैं अपने गृहनगर भी चला जाऊं तो मुझे मकान का किराया चुकाना होगा।’
मिश्रा भी उत्तर प्रदेश के उन लाखों प्रवासियों में से एक थे, जो लॉकडाउन के दौरान मुंबई और आसपास के इलाकों से अपने गृहनगर लौट गए थे। उत्तर प्रदेश के लाखों प्रवासियों की तरह मिश्रा भी पिछले साल लॉकडाउन के बाद घर लौट गए थे, लेकिन बाद में इस उम्मीद में शहर में आ गए थे कि स्थितियां सामान्य हो जाएंंगी। अब कोविड-19 के मामले तेजी से बढऩे के कारण ठाणे नगर निगम ने कंटेनेमेंट जोन की संख्या बढ़ा दी है, जिससे वह चिंतित हैं। वह कहते हैं, ‘अगर दूसरा लॉकडाउन लगा तो हम खत्म हो जाएंगे।’ मिश्रा अपने रोजमर्रा के काम में पूरी सतर्कता बरतते हैं। वह कहते हैं, ‘जब अधिक जोखिम वाले जोन का कोई ग्राहक बुलाता है तो मैं चौकीदार से पूछता हूं कि सब कुछ ठीक है या नहीं। तभी मैं जाता हूं।’ पास में जूस की दुकान चलाने वाली शोभा भी मुश्किलों से जूझ रही हैं क्योंकि कारोबार में भारी गिरावट आई है। वह कहती हैं, ‘मुश्किल से ही कोई ग्राहक आता है। मैंने अपनी आमदनी की भरपाई के लिए घरों में काम करना शुरू किया है। लेकिन बहुत से लोगों ने पगार नहीं दी… मुझे नहीं पता कि मैं क्या करूं।’ अन्य लोग भी इसी तरह की कुंठा और बेबसी बयां करते हैं।
एक रिक्शो ड्राइवर महेश काले ने कहा, ‘पहले मैं रोजाना 1,000 रुपये कमा लेता था। अब मुश्किल से 300 से 400 कमा पाता हूं। मैं मुश्किल से घर का खर्च चला पा रहा हूं। बचत का तो कोई सवाल ही नहीं है।’ काले के ज्यादातर यात्री मॉल और थियेटर जाने वाले लोग होते थे। वह कहते हैं, ‘लेकिन अब बहुत कम लोग मॉल जाते हैं, इसलिए यह बड़ा ही मुश्किल समय है।’
हालांकि छोटे कारोबारी कंटेनमेंट के उपायों से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं, लेकिन बड़ी औद्योगिक इकाइयों पर उतना असर नहीं पड़ा है। ठाणे बेलापुर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन (टीबीआईए) के महाप्र्रबंधक एमएम ब्राह्मे कहते हैं कि अब तक संगठन के सदस्यों के परिचालन पर मामले बढऩे का असर नहीं पड़ा है। ब्राह्मे ने कहा, ‘साफ तौर पर बिक्री कम है, लेकिन विनिर्माण पर ज्यादा असर नहीं पड़ा है। मेरा मानना है कि एसएमई (लघु एवं मझोले उद्योग) को बड़े उद्योगों की तुलना में ज्याादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।’
वह कहते हैं कि विनिर्माण और सेवा कंपनियां मार्च, 2020 से ही इलाज और सुरक्षा को लेकर मानक परिचालन प्रक्रियाओं (एसओपी) का पालन कर रही हैं। वह कहते हैं, ‘स्थिति तेजी से बदल रही है, इसलिए हम नियमित रूप से सदस्यों से बातचीत कर रहे हैं।’ टीबीआईए की 200 से अधिक बड़ी एवं मझोली कंपनियां सदस्य हैं। इनमें सीमेंस, एशियन पेंट्सऔर मुकुंद इंडस्ट्रीज आदि शामिल हैं। इस बीच ठाणे नगर निगम ने महामारी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए कई कदम उठाए हैं। इसने 8 मार्च को 16 हॉटस्पॉट के सूक्ष्म कंटेनमेंट जोन में 31 मार्च तक ‘सीमित लॉकडाउन’ की घोषणा की थी। राज्य के आदेश के मुताबिक 28 फरवरी तक प्रतिबंध थे, लेकिन बढ़ते मामलों के कारण एक ताजा सूची तैयार की गई। इससे कारोबारियों और बाशिंदों में डर और भ्रम फैल गया कि आवाजाही और कारोबारी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाए जाएंगे। बाद में ठाणे नगर निगम ने कदम वापस खींचे और साफ किया कि यह नोटिस केवल कंटेनमेंट जोन के लोगों को जागरूक करने के लिए था। इसने कहा कि लोगों को कोविड-19 के संबंध में सभी एहतियात का पालन करना चाहिए। ठाणे नगर निगम ने कोविड-19 मरीजों के लिए 4,221 बेड तैयार किए हैं और जल्द ही 1,000 और बेड बढ़ाए जाएंगे।
कोविड के मामले
नगर निगम के सामने मुश्किल चुनौती है। एक अधिकारी के हवाले से कहा गया कि सोमवार को 3,133 नए मामलों के साथ ठाणे जिले में संक्रमण का कुल आंकड़ा 3,12,705 पर पहुंच गया है। अधिकारी ने कहा कि सोमवार को ये नए मामले आने के अलावा 10 लोगों की इस वायरस से मौत हो गई। इससे जिले में मौतों का कुल आंकड़ा 6,454 हो गया है।
जिले में अब तक 2,77,536 मरीज संक्रमण से उबर चुके हैं। इसका मतलब है कि मरीजों के ठीक होने की दर 88.75 फीसदी है।
ठाणे के महापौर नरेश म्हस्के ने कहा, ‘अगर मामले इसी रफ्तार से बढ़े और लोगों ने एहतियात नहीं बरते तो लॉकडाउन के दूसरे चरण के अलावा और कोई विकल्प नहीं है।’ म्हस्के पहले ही महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को टीके की और खुराक मुहैया कराने के लिए पत्र लिख चुके हैं। (साथ में अभिजित लेले)