लघु उद्यमी प्रेम दत्त शर्मा ने अपनी हवाई यात्रा पर रोक लगा दी है। वे फोन व कार के बेजा इस्तेमाल से भी बचते हैं।
ऐसा वे पिछले दो महीने से कर रहे हैं। दो माह पहले उनके उत्पाद की मांग में कमी होने से उन्हें भी मंदी का अहसास हुआ। उनके कारोबार में 30 फीसदी तक की कमी आ चुकी है। और आने वाले समय में भी उन्हें और गिरावट की आशंका है।
लिहाजा मंदी से मुकाबला करने के लिए ऑटोमोबाइल पाट्र्स के उत्पादक शर्मा ने भी कमर कस ली है, लेकिन उन्होंने अपने किसी कर्मचारी को नहीं निकाला है। बेशक उन्होंने अपने कर्मचारियों का ओवर टाइम बंद कर दिया है।
नोएडा के सेक्टर-63 में एएस मोल्डिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से दो तो नोएडा के ही सेक्टर-10 में प्रेम इंजीनियरिंग वर्क्स के नाम से एक फैक्ट्री चलाने वाले शर्मा की इन तीनों फैक्टरियों में करीब 150 कर्मचारी काम करते हैं।
मंदी से पहले तक ये कर्मचारी 12 घंटे तक उत्पादन कार्य करते थे लेकिन इन दिनों शर्मा इन कर्मचारियों से 8 घंटे ही काम लेते हैं।
शर्मा कहते हैं, ‘कच्चे माल की कीमत में गिरावट आयी है लेकिन मांग नहीं होने से वे उत्पादन कम कर रहे हैं और मंदी में वे स्टॉक रखने का जोखिम नहीं ले सकते हैं।’
नोएडा के सेक्टर-10 में मात्र 20 हजार रुपये की पूंजी से किराए की फैक्ट्री से अपना कारोबारी सफर शुरू करने वाले शर्मा के पास बाइक व दोपहिया वाहनों का लॉक व अन्य पुर्जा बनाने वाली कुल 8 मशीनें हैं। लेकिन लागत कम करने के लिए उन्होंने इन दिनों 2 मशीन को बंद कर दिया है।
वर्तमान में 25 करोड़ रुपये का सालाना कारोबार करने वाले शर्मा ऑटोमोबाइल पाट्र्स की टाटा प्रिकोसा, संधाल, मिंडा व मदर्सन सूमो जैसी बड़ी कंपनियों को अपने उत्पाद की आपूर्ति करते हैं। गत सितंबर के आखिर में उनके उत्पाद की मांग में गिरावट शुरू हो गयी थी और वे तभी से सचेत हो गए।
तब से लेकर अब तक उन्होंने कोई हवाई यात्रा नहीं की है। शर्मा कहते हैं, ‘कारोबारी यात्रा के लिए वे अक्सर पुणे, बंगलुरू व दक्षिण भारत के अन्य शहरों का दौरा करते हैं। पर फिलहाल उन्होंने इन सभी यात्राओं पर रोक लगा दी है। फोन के माध्यम से ही वे कारोबार को अंजाम दे रहे हैं।’
20 हजार रुपये की पूंजी से 25 करोड़ रुपये तक का सफर तय करने में शर्मा को 24 साल लग गए। बकौल शर्मा, ‘वर्ष 1984 से पहले तक मैं अलीगढ़ में मामूली नौकरी करता था लेकिन मुझे डाइटूल के निर्माण का इल्म था।
84 में नोएडा आया और सेक्टर -10 में किराए की छोटी सी फैक्ट्री से अपना काम शुरू किया। फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा। आज तीन-तीन फैक्ट्ररियां हैं।’
लेकिन उन्हें इस बात का जरूर अफसोस हैं कि अपने कारोबार को बढ़ाने के लिए अब नयी फैक्ट्री के लिए नोएडा प्राधिकरण से प्लाट नहीं मिल रहा है।शर्मा मंदी के इस दौर में सरकारी रवैये से क्षुब्ध नजर आते हैं।
वे कहते हैं, ‘करों में छूट देने के बजाए प्रदेश सरकार कई नए करों को थोप रही है वहीं विभिन्न इंस्पेक्टर रोजाना कोई न कोई अड़ंगा लगाते रहते हैं।’ मंदी के इस दौर में निराश शर्मा ने आशा नहीं छोड़ी है। वे धंधा बढ़ाने के लिए अब नए बाजार की तलाश में है।