पैकेजिंग बॉक्स इंडस्ट्री पर मंदी की गिरफ्त तेज होती जा रही है। दरअसल, इस उद्योग पर इस मुश्किल समय में दोतरफा मार पड़ी है।
एक तो पैकेजिंग बॉक्स की निर्माण लागत में पिछले साल की तुलना में इस साल 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है, वहीं दूसरी ओर इनकी मांग में भी जबरदस्त कमी आई है।
पैकेजिंग बॉक्स की सबसे ज्यादा खपत कंज्यूमर डयूरेबल्स, एफएमसीजी और कपड़ा उद्योग को होती है। अब जब मंदी ने इन उद्योगों की कमर तोड़ रखी है तो स्वाभाविक है कि इनकी ओर से पैकेजिंग बॉक्स की मांग में भी कमी आएगी। इन उद्योगों की ओर से पैकेजिंग बॉक्स की मांग 30 फीसदी घटी है।
कोरियोगेटेड बॉक्स मैन्यूफैक्चर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष संजय ढींगरा का कहना है कि मंदी की वजह से नोएडा, कानपुर, वाराणसी और सहारनपुर की कागज इकाइयों के हालात बदतर हो गए हैं। उन्होंने बताया कि आज से छह महीने पहले पैकेजिंग बॉक्स के निर्माण में प्रयुक्त कागज की कीमतों में 25 फीसदी की बढ़ोतरी हो गई थी। लेकिन संगठन की ओर से इस बात का विरोध किए जाने पर कीमतें 15 फीसदी तक घटी हैं।
विकल्पों की तलाश
लागत व कीमतों में बढ़ोतरी होने और मंदी के चलते मांग न होने से कारोबारी अब नए कारोबार की राह तलाशने को मजबूर हो रहे हैं। कुछ कारोबारी तो कागज से ही जुडे दूसरे कारोबार जैसे स्टेशनरी, पैकेट निर्माण की ओर मुड़ रहे हैं। इस साल नए आर्डरों की संख्या 25 फीसदी तक घटी है। आर्डर की कमी का सीधा खामियाजा कारीगरों को उठाना पड़ रहा है। कारीगरों पर छंटनी की तलवार लटक चुकी है।
उद्योग जगत से जुड़े लोगों ने बताया कि भले ही अभी छंटनी शुरुआती दौर में है लेकिन हालात ऐसे ही खराब रहे तो ज्यादातर इकाइयों से 20 से 25 फीसदी कर्मचारियों की छुट्टी हो सकती है। ढींगरा का कहना है कि अकेले नोएडा में ही पैकेजिंग बॉक्सों का निर्माण करने वाली 350 इकाइयों में 18,000 हजार लोग काम कर रहे हैं। अगर बाजार की हालत ऐसी ही रहती है तो इन सभी की रोजी-रोटी पर सवाल खड़ा हो सकता है।
आग में घी का काम
बढ़ी हुई कर दरों ने एक तरह से इस उद्योग के लिए आग में घी का काम किया है। 10.3 फीसदी उत्पाद शुल्क और 4 फीसदी वैट के कारण पिछले तीन सालों के अंदर लगभग 20 फीसदी पैकेजिंग कारोबारी हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड (इन राज्यों में लघु उद्योगों पर उत्पाद कर शून्य है) की राह पकड़ चुके है। उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा माल के प्रवेश कर को बढ़ाकर 1 फीसदी से 2 फीसदी करने के बाद करों की मार और भी गहरी हो गई है।
नोएडा में पैकेजिंग उद्योग से जुड़े शगुन बॉक्स मैन्यूफैक्चरर्स कंपनी प्राइवेट लिमिटेड के आर पी सहगल का कहना है कि बाजार अगर ऐसा ही रहा तो कुछ दिनों बाद हमें निर्माण इकाइयों को बंद करना पड़ जाएगा।