मेट्रो में पैर पसारने लगी है कैब इंडस्ट्री

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 8:00 PM IST

सार्वजनिक परिवहन की लगातार बढती मांग मेट्रो शहरों में कैब इंडस्ट्री को जमने का बढ़िया मौका दे रही है। यात्री भी बस की धक्का-मुक्की और मेट्रो व लोकल ट्रेनों की दम घुटा देने वाली भीड़ से बचने के लिए कैब सर्विस को हाथोंहाथ ले रहे हैं।


आज से दो साल पहले शहरी विकास को मजबूती प्रदान करने और परिवहन को सशक्त करने के उद्देश्य से मेट्रो शहरों में कैब की शुरुआत की गई थी। इस समय दिल्ली में ही पांच से छह निजी कंपनियां कैब सुविधा को उपलब्ध करा रही हैं। इनमें दिल्ली कै ब, मेरु कैब, मेगा कैब, रेडियो कैब, क्विक कैब और ईजी कैब शामिल है।

इन कैबों के लिए यात्री को सरकार द्वारा तयशुदा किराया 15 रुपये प्रति किलोमीटर के लिए अदा करना होता है। इनमें अंतरराष्ट्रीय स्तर की यात्रियों सेवाओं जैसे जीपीएस, एसी और लगजरी गाड़ियों का प्रयोग कर सकते हैं। ईजी कैब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी राजीव के विज ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘ईजी कैब की 1500 कैब दिल्ली, चंडीगढ़, बैंगलुरु और हैदराबाद में अपनी सुविधाएं दे रही हैं।

दिल्ली की कैब इंडस्ट्री के बारे में विज बताते है कि दिल्ली में रोजाना लगभग 1500 कैब सड़कों पर चलती हैं। इनमें ईजी कैब की 550 गाड़ियां लगभग 5000 यात्रियों को और दूसरी कंपनियों की 1050 कैब लगभग 8000 लोगों को अपनी सुविधाएं देती हैं। देखा जाए तो एक कैब द्वारा बनाया गया औसत लगभग 300 रुपये प्रतिदिन का बैठता है।

इस तरह से दिल्ली में ही कैब इंडस्ट्री का रोजाना कारोबार लगभग 35 से 45 लाख रुपये का है।’ विज ने कहा कि अभी तो हम बड़े शहरों में अपनी सुविधाओं को दे रहें हैं। लेकिन आगे हम राज्यों की राजधानियों जैसे लखनऊ, भोपाल, जयपुर और पर्यटन क्षेत्रों में भी प्रसार करने की योजना बना रहे हैं। कैब के ऊपर विज्ञापन लगाने की अनुमति मिलने के बाद हमें अतिरिक्त आय भी होने लगी है।’

दिल्ली में जल्द ही कैब सुविधा को शुरु करने वाले क्विक कैब के बिजनेस प्रमुख हिमांशु मलिक ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हम अपनी 200 कैब के साथ यात्रियों को यह सुविधा 7.5 रुपये प्रतिकिलोमीटर की दर से उपलब्ध करा रहे हैं। वैसे तो सरकार द्वारा कैब के लिए तयशुदा दरें 15 रुपये प्रतिकिलोमीटर है। लेकिन अगर कोई कंपनी इससे कम दर में भी कैब सुविधा यात्रियों को उपलब्ध करा रही है तो इस पर भी पांबदी नहीं है। इसके लिए हमें अपने मुनाफे में कटौती करनी पड़ रही है। लेकिन इसके नतीजे भी हमें अच्छे नजर आ रहे हैं।’

मेरु कैब के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मैक परेरा ने बताया, ‘यह इंडस्ट्री  अभी अपने शुरुआती दौर में है। अभी मेरु की 150 कैब दिल्ली में , 400 कैब हैदराबाद में, 500 कैब बैंगलुरु में और 700 कैब मुंबई में चल रही है। लेकिन अक्टूबर के अंत तक हम इनकी संख्या में 20 से 25 फीसदी की बढ़ोतरी की योजना बना रहे हैं।’ दिल्ली में ही राष्ट्रमंडल खेलों के आने तक कैबों की संख्या 15000  तक हो जाने की संभावना है।

First Published : September 5, 2008 | 9:46 PM IST