गंदी बस, टूटी हुई खिड़कियां, छतों से टपकता पानी, भारी घाटा और करदाताओं के पैसे की बर्बादी। राज्य सड़क परिवहन निगम के बारे में पहली तस्वीर ऐसी ही उभर कर सामने आती है।
हालांकि महाराष्ट्र राज्य सड़क परिवहन निगम (एमएसआरईसी) इस छवि को बदलने में कामयाब रहा है। वित्त वर्ष 2007-08 के दौरान निगम का परिचालन लाभ 160 करोड़ रुपये रहा है।
एमएसआरईसी के प्रबंध निदेशक ओ पी गुप्ता ने बताया कि ‘हमने अपने कर्मचारियों से यह साफ कह दिया कि यदि हमने अपने बर्ताव और काम करने के तरीकों में बदलाव नहीं किया तो निगम चल नहीं सकता है। इस बात का कर्मचारियों पर गहरा असर पड़ा और यह एक बड़ी वजह है कि हम निगम की सूरत को बदलने में कामयाब रहे हैं।’ उन्होंने बताया कि हमने अपने 12,000 कर्मचारियो को यह भरोसा दिलाया कि प्रबंधन उनकी शिकायतों को सुनने और उनका हल तलाशने के लिए तैयार है।
इससे ड्राइवर, कंडक्टर और मैकेनिक जैसे हमारे बुनियादी स्टॉफ के बीच यह भरोसा कायम हुआ कि वे भी संगठन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। उनके सुझावों पर कार्यवाही होने से उनका मनोबल बढ़ा। उन्होंने आगे बताया यात्रियों को आकर्षित करने के लिए बसों में साफ-सफाई, बसों की समय सारणी को यात्रियों की मांग के मुताबिक पुर्नव्यवस्थित करने और यात्रा के दौरान सावधानियों को लेकर जागरुकता पर जोर दिया गया।