नेशनल थर्मल पॉवर कारपोरेशन (एनटीपीसी) के सीपत संयंत्र के लिए छत्तीसगढ़ सरकार पानी मुहैया करने के लिए तैयार हो गई है।
संयंत्र में अब जल्द ही बिजली उत्पादन फिर से बहाल होने की उम्मीद है। इससे पहले देश की सबसे बड़ी बिजली उत्पादक कंपनी एनटीपीसी के साथ विवाद होने के बाद राज्य सरकार ने सीपत को पानी की आपूर्ति रोक दी थी।
राज्य सरकार कंपनी से स्थानीय लोगों को रोजगार देने और उत्पादित बिजली में हिस्सेदारी देने की मांग कर रही थी।सीपत बिजली प्लांट की पहली 500 मेगावाट की इकाई के करीब 15 दिनों तक चले प्रयोगिक तौर पर चलते के बाद राज्य सरकार द्वारा हसदेव नहर से पानी की आपूर्ति रोक देने के बाद संयंत्र पिछले एक महीने से बंद पड़ा है।
इसके बाद एनटीपीसी ने इस इकाई को चालू करने के कार्यक्रम को टाल दिया जबकि अभी तक वाणिज्यिक उत्पादन शुरू हो जाना चाहिए था। सीपत परियोजना की कुल लागत 12,000 करोड़ रुपये होने का अनुमान है। राज्य सरकार ने परियोजना से प्रभावित करीब 3,000 लोगों के लिए रोजगार की मुहैया कराने और कुल उत्पादित बिजली में से 7.5 प्रतिशत बिजली उसे दिए जाने की मांग की थी।
इसके साथ ही संयंत्र से उत्पादित बिजली के 30 प्रतिशत को खरीदने का प्रथम अधिकार भी मांगा गया है। एनटीपीसी प्रशासन द्वारा इन मांगों को पूरा नहीं किए जाने पर छत्तीसगढ़ सरकार ने संयंत्र को पानी की आपूर्ति रोक दी। हालांकि राज्य सरकार भी जल्द से जल्द किसी नतीजे पर पहुंचना चाहती थी।
राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह और बिजली राज्य मंत्री जयराम रमेश के बीच हुई एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान हालांकि दोनों पक्ष के बीच सहमति बन गई और अब राज्य सरकार पानी की आपूर्ति बहाल करने के लिए तैयार है।
राज्य के जल संसाधन मंत्री हेमचंद यादव ने बताया कि जब तक महानदी से पानी लाने के लिए फिजीबिलिटी रिपोर्ट तैयार नहीं हो जाती है तब तक राज्य सरकार औद्योगिक कोटे से पानी की आपूर्ति करेगी। केन्द्रीय जल आयोग 90 दिन के भीतर सर्वेक्षण और रिपोर्ट तैयार करने का काम पूरा कर लेगा। इसके बाद कोई अंतिम फैसला किया जाएगा।