दिल्ली में प्लास्टिक बैग पर पूर्ण रूप से पाबंदी के खिलाफ इसके निर्माताओं व कारोबारियों ने सरकार के खिलाफ जंग का ऐलान कर दिया है।
उन्होंने सरकार के इस फरमान के खिलाफ अदालती लड़ाई से लेकर सड़क तक की लड़ाई लड़ने का फैसला किया है। इस मसले पर जहां ऑल इंडिया प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने अपनी आपात बैठक बुलाई तो कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने प्लास्टिक कारोबारियों के हित में अपना मोर्चा खोल दिया।
दिल्ली में प्लास्टिक बैग का सालाना कारोबार लगभग 5,000 करोड़ रुपये का है। तकरीबन 4,000 इकाइयां प्लास्टिक बैग के निर्माण कार्य में जुटी हैं तो बैग के कारोबारियों की संख्या लगभग 1,500 है। सरकारी फरमान के बाद दिल्ली में न तो प्लास्टिक बैग का निर्माण किया जा सकता है और न ही उनका व्यापार।
यहां तक कि इस बैग का इस्तेमाल करने वालों के खिलाफ भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है। हालांकि प्लास्टिक पैकेजिंग को प्रतिबंधित दायरे से बाहर रखा है। सरकार के इस फैसले से प्लास्टिक उद्योग के कारोबार में भी 10 फीसदी से अधिक की कमी आ सकती है।
साधारण तौर पर इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक बैग के निर्माण में पॉली प्रापलीन लो डेनसिटी (पीपीएलडी) का इस्तेमाल होता है। ऑल इंडिया प्लास्टिक इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के सचिव अजय गुप्ता ने कहा कि इस अधिसूचना के साथ ही एक लाख से अधिक लोग सड़क पर आ गए हैं।
उन्होंने इस फैसले के खिलाफ उच्च न्यायालय में जाने की बात कही। प्लास्टिक बैग कारोबारियों की दलील है कि हाईकोर्ट ने अपने फैसले में साफ तौर पर 40 माइक्रोन की मोटाई और 8 गुने 12 आकार के बैग के इस्तेमाल की इजाजत दे दी थी।
लेकिन सरकार ने इस प्रकार के बैग पर भी पाबंदी लगा दी है। सरकार का कहना है कि प्लास्टिक की मोटाई को मापना संभव नहीं है। लिहाजा सभी प्रकार के बैग को प्रतिबंधित किया जा रहा है।
कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल कहते हैं, ‘कारोबारियों को बिना कोई विकल्प दिए ही पाबंदी का ऐलान कर दिया गया जो कि जायज नहीं है।’सरकार ने कहा है कि प्लास्टिक बैग की जगह जूट या कागज के लिफाफे का इस्तेमाल किया जाए।
पर कारोबारियों का कहना है कि जूट का बैग प्लास्टिक बैग के मुकाबले कई गुना महंगा होता है। कारोबारियों को अब यह चिंता सता रही है कि अगर अचानक से यह फैसला लागू होता है तो उनके करोड़ों रुपये के पुराने स्टॉक का क्या होगा।
आगे क्या होगा इधर, सरकारी फैसले पर अमल शुरू होते ही जूट बैग के कारोबार में कई गुना बढ़ोतरी हो सकती है। प्लास्टिक बैग बनाने वाले उद्यमी जूट की ओर मुखातिब हो सकते हैं।
समीकरण
शहर में 5,000 करोड़ रुपये का है प्लास्टिक बैग का कारोबार
फैसले पर अमल से 10 फीसदी घट सकता है कारोबार
इस फैसले से एक लाख से अधिक कामगार आ जाएंगे सड़क पर
जूट उद्योग को फायदा पहुंचा सकता है यह सरकारी फरमान