उप्र में 5,916 करोड़ रुपये की मांगें

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:43 PM IST

उत्तर प्रदेश की मायावती सरकार ने आज 5,916.17 करोड़ रुपए की पूरक अनुदान मांगें पेश की। इन पूरक अनुदान मांगों में छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू होने के बाद बढ़ने वाला व्यय भार शामिल नहीं है।


छठे वेतन आयोग के चलते बढ़ने वाले व्यय भार की पूर्ति के लिए उत्तर प्रदेश की सरकार बाद में अलग से पूरक अनुदान मांग लाएगी। पूरक अनुदान मांगों से मिलने वाले धन का अधिकांश उपयोग सरकार कांशीराम के नाम पर शुरु की गयी शहरी विकास योजनाओं और नगर विकास विभाग की कुछ खास योजनाओं के लिए करेगी।

कांशीराम शहरी गरीब आवास योजना के मद में 767 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। जिसका प्रावधान पूरक अनुदान मांगों में किया गया है। गन्ना विकास व चीनी विभाग के निजीकरण के प्रति अपना संकल्प दुहराते हुए प्रदेश सरकार ने इस विभाग के लिए 851 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।

इसमें से उत्तर प्रदेश चीनी निगम लिमिटेड में विनिवेश प्रक्रिया के तहत गन्ना मूल्यों के भुगतान के लिए 270 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। साथ ही संघ की मिलों पर बाकी उत्तर प्रदेश कोआपरेटिव बैंक के कर्जों के ब्याज सहित भुगतान के लिए 53.50 करोड़ रुपए, शुगर डेवलपमेंट फंड के बकाया कर्ज के ब्याज सहित भुगतान के लिए 117.82 करोड़ रुपए और निगम की मिलों में वीआरएस लागू करने के लिए 100 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है। 

उत्तर प्रदेश सहकारी चीनी मिल संघ की मिलों पर बकाया के भुगतान के लिए 126.11 करोड़ रुपए की अतिरिक्त व्यवस्था की गयी है। डीज़ल पर वैट लगने के बाद बढ़े हुए व्यय भार के एवज में सरकारी बसों का किराया न बढ़ने का संकेत भी राज्य सरकार ने उक्त विभाग के लिए 100 करोड़ रुपए की अतिरिक्त व्यवस्था करके दे दिया है।

पिछड़े वर्ग के छात्रों के प्रवेश शुल्क की प्रति पूर्ति के लिए भी 188 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है। डॉ भीम राव अम्बेडकर सामाजिक परिवर्तन स्थल के लिए 252 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए हैं। बारा और करछना परियोजनाओं के लिए कोल लिंकेज के मद्देनजर प्रदेश सरकार ने नेशनल कोल फील्डस में कमिटमेंट गारंटी जमा करने के लिए 78 करोड़ रुपए का प्रावधान पूरक अनुदान मांगों में किया है।

First Published : August 19, 2008 | 11:35 PM IST