जरूरी नहीं है कि हकीकत हमेशा कल्पना की तरह ही खूबसूरत हो। जमीनी हकीकत से कटे हुए और लापरवाह लोग सुनहरी कल्पना को डरावनी हकीकत में तब्दील कर सकते हैं।
इंदौर स्थित क्रिस्टल आईटी पार्क के बारे में यह बात सच है। राजनेताओं और नौकरशाहों की ढपोरशंखी ने इस पार्क को मध्य प्रदेश सरकार के गले की फांस बना दिया है।
इंदौर स्थित इस आईटी पार्क के लिए एक मात्र बोलीदाता जूम डेवलपर्स सह-डेवलपर के तौर पर तकनीकी बोली में सफल हो सका था। लेकिन पार्क की बदनसीबी यह है कि 2003 के बाद से यहां एक फूटी कौड़ी का निवेश भी नहीं आया है।
जूम डेवलपर्स की वित्तीय बोली भी 102 करोड़ रुपये में खुली जबकि बोली की न्यूनतम राशि 100 करोड़ रुपये थी। विशेष आर्थिक क्षेत्र का दर्जा हासिल करने के बावजूद निवेशकों की उपेक्षा झेल रहे क्रिस्टल आईटी पार्क के भाग्य पर फैसला विधानसभा चुनावों के लिए आचार संहिता लागू होने से पहले किया जा सकता है।
क्रिस्टल आईटी पार्क के मसले पर राज्य कैबिनेट की मंगलवार को होने वाली अगली बैठक में विचार किए जाने की संभावना है। एक उच्च पदस्थ सरकरी सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘परपंरागत तौर पर आईटी पार्क जैसी किसी महत्वपूर्ण परियोजना के विकास के लिए अकेले बोलीदाता का चुनाव नहीं किया जाता है।
राज्य कैबिनेट जल्द ही वित्तीय बोली पर विचार करेगी और बोली को रद्द भी किया जा सकता है।’ आईटी पार्क 7.99 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है और 5.5 लाख वर्ग फीट विकसित क्षेत्र कंपनियों के लिए पूरी तरह से तैयार है, लेकिन पिछले दो वर्षो के दौरान एक भी कंपनी ने अपनी इच्छा नहीं जताई है।
जानकारों का कहना है कि इसके लिए आईटी पार्क का गलत डिजायन दोषी है। पार्क पर 55.26 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है जबकि कुल प्रस्तावित निवेश 80 करोड़ रुपये है।
यह पार्क इंदौर के प्रमुख इलाके भवरकुआं में और इंदौर विश्वविद्यालय के करीब है। यहां इस समय जमीन के भाव 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ है। वर्ष 2006 के दौरान इंदौर स्थित औद्योगिक केंद्र विकास निगम णने टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (टीसीएस), विप्रो, एसकेआईएल और इंफोसिस से पार्क में आने के लिए बातचीत की थी।
केंद्र सरकार ने बीते साल पार्क को सेज का दर्जा दे दिया और यदि 2010 तक पार्क का विकास नहीं हो सका तो पार्क से सेज का दर्जा छीन लिया जाएगा।
सूत्रों ने आगे बताया कि ‘कंपनी को 5.5 लाख वर्ग फीट जगह का विकास करना है और इसके बाद 11000 वर्ग फीट क्षेत्र का विकास करने की अनुमति भी दी जाएगी।
हालांकि राज्य में कैबिनेट स्तर के एक मंत्री ने बताया कि ‘ कैबिनेट देखेगी कि हम पार्क के लिए कंपनियों को क्यों नहीं आकर्षित कर पाए हैं।’ बाजार सूत्रों के मुताबिक औद्योगिक केंद्र विकास निगम ने भवन और जमीन की कीमत काफी कम करके आंकी है।
उद्योग सूत्रों ने बताया कि ‘प्रमुख इलाके में स्थित होने के कारण केवल जमीन की कीमत ही 150 से 200 करोड़ रुपये तक है। भवन तो तोहफे में मिल रहा है जबकि पूरा पार्क 100 करोड़ रुपये में दिया जा रहा है।’