देश में बिजली की कितनी जबरदस्त किल्लत है इसका अंदाजा इंडिया एनर्जी एक्सचेंज (आईईएक्स) के आंकड़ों से साफ पता चलता है।
गत बुधवार को इस एक्सचेंज में देश भर से 40,400 मेगावाट बिजली की मांग की गयी। इसका सीधा अर्र्थ है कि दस दिल्ली के बराबर वाले इलाकों में रोजाना बिजली नहीं होती है। दिल्ली में बिजली की प्रतिदिन की मांग 3500-4000 मेगावाट है।
लेकिन बिक्री के लिए मात्र 220 मेगावाट बिजली आई। बिक्री के लिए काफी कम मात्रा में बिजली उपलब्ध होने के कारण आईईएक्स के कारोबार की भी बिजली गुल होती नजर आ रही है। बारिश नहीं हुई और गर्मी जारी रही तो कारोबार की मात्रा में और गिरावट हो जाएगी।
आईईएक्स ने बीते 26 जून को बिजली बेचने व खरीदने के लिए एक्सचेंज की शुरुआत की। 27 जून से लेकर 23 जुलाई तक के ग्राफ से साफ जाहिर होता है कि आरंभ में बिजली खरीदने वालों के साथ बेचने वालों की संख्या भी ठीक थी। 27 जून को 15,000 मेगावाट की मांग थी। जबकि बिक्री के लिए 3016 मेगावाट बिजली उपलब्ध थी। धीरे-धीरे खरीदने वालों के साथ बेचने वालों की मात्रा भी बढ़ती गयी। 14 जुलाई को बिक्री के लिए 6424 मेगावाट बिजली उपलब्ध थी तो इसकी मांग 32060 मेगावाट थी।
लोकिन इस सप्ताह विभिन्न प्रांतों में बारिश नहीं होने व गर्मी अधिक पड़ने के कारण 22 जुलाई को बिजली की मांग बढ़कर 35,300 मेगावाट हो गयी जबकि बिक्री के लिए मात्र 494 मेगावाट उपलब्ध थी। जानकार कहते हैं कि बिजली की इस भयानक कमी को देखते हुए एनर्जी एक्सचेंज की शुरुआत की गयी है।
आईईएक्स के प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी जयंत देव कहते हैं, ‘किसी भी बच्चे को चलने में समय लगता है तब तक उसे बैठाकर ही उसकी देखभाल करनी पड़ती है।’ देव कहते हैं कि अगर देश के विभिन्न प्रांतों में अच्छी बारिश हो जाती है और दो-ढ़ाई महीनों में विभिन्न जगहों पर जलाशय बन जाते हैं तो बिक्री के लिए अधिक बिजली मिल पाएंगी।