उप्र में बदलेगी ऊर्जा नीति

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 3:04 PM IST

उत्तर प्रदेश में बिजली परियोजनाओं की शुरुआत में देरी और आवंटन में गतिरोध के बीते अनुभवों से सबक लेते हुए राज्य सरकार ने अब नई ऊर्जा नीति तैयार कर रही है।


पूरी कवायद का मकसद ऊर्जा क्षेत्र में अधिक से अधिक संख्या में निजी निवेशकों को आकर्षित करना है। नई ऊर्जा नीति में इस बात पर जोर होगा कि कैसे निजी निवेशकों को राज्य में निवेश के लिए छूट दी जाए और उपभोक्ताओं को सस्ती दरों पर बिजली मिल सके।

सरकार ने हाल में इलाहाबाद जिले में बारा और करछना में 3,300 मेगावाट क्षमता वाले बिजली संयंत्र की स्थापना के लिए रिलायंस पॉवर की बोली को अधिक बताते हुए रद्द कर दिया था। बोली में रिलायंस पॉवर से सबसे कम किराए का उल्लेख किया था। सरकार इस इस परियोजना के लिए तीसरी बार बोली आमंत्रित करने की तैयारी हैं। इसके लिए ऊर्जा कार्यबल (ईटीएफ) नियम और शर्तां को तय कर रहा है।

ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव वी एन गर्ग ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘इस प्रकरण से हमने काफी कुछ सीखा है और हम नई ऊर्जा नीति तैयार कर रहे हैं जो राज्य के ऊर्जा क्षेत्र में निजी कंपनियों के भूमिका को बढ़ावा देगी।’ ईटीएफ दूसरे राज्यों की ऊर्जा नीति का अध्ययन भी कर रही है, जहां बिजली उत्पादन और उपभोक्ताओं के लिए सस्ती बिजली खरीद के लिए निजी क्षेत्र को सफलतापूर्वक शामिल किया गया है।

उन्होंने बताया कि ‘हमें लगता है कि निजी क्षेत्र को रिझाने के लिए हमारी नीति उतनी आकर्षक नहीं है और सस्ती दर पर बिजली देने के लिए उन्हें छूट की पेशकश नहीं करती है। हम नई नीति में इस बात का ख्याल रखेंगे।’ कैबिनेट ने इस बीच इलाहाबाद संयंत्र के लिए रिलायंस की बोली को रद्द करने की मंजूरी दे दी है और बोली की प्रक्रिया के लिए पूर्ववर्ती सलाहकार फीडबैक वेंचर्स को फिर से नियुक्ति किया है।

उत्तर प्रदेश बिजली निगम लिमिटेड (यूपीपीसीएल) के प्रबंध निदेशक अवनीश अवस्थी ने बताया कि ‘फिर से बोली मंगाने के लिए नए नियम और शर्तों को अंतिम रूप दिया जा चुका है और प्रक्रिया जल्द ही शुरू की जाएगी।’ राज्य सरकार ने इलाहाबाद के बारा और करछाना में अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पर आधारित बिजली संयंत्र स्थापित करने का प्रस्ताव किया था। सरकार निजी क्षेत्र की कंपनियों को दोनों स्थानों पर 660 मेगावाट की दो अतिरिक्त इकाइयां लगाने और तैयार बिजली को खुले बाजार में बेचने की अनुमति दे सकती है। इसके बदले कंपनियां राज्य सरकार को सस्ती दरों पर बिजली दे सकेंगी।

गर्ग ने बताया कि नए बोलीदाता को हम इस तरह की छूट दे सकते हैं और इससे परियोजना की वित्तीय व्यवहारिकता भी बनी रहेगी। अवस्थी ने दावा किया कि बोली और बिजली परियोजना के आवंटन की पूरी प्रक्रिया नवंबर के पहले सप्ताह तक पूरी हो जाएगी। इस समय राज्य की बिजली उत्पादन इकाइयां कुल 5,500 मेगावाट बिजली पैदा करती हैं, जबकि व्यस्त समय में मांग 8,000 मेगावाट तक जा पहुंचती है।

पिछले अनुभवों का सबक

बीते अनुभवों से सबक लेते हुए बनाई जा रही है नई ऊर्जा नीति
नई नीति को दूसरे राज्यों की ऊर्जा नीति के आधार पर तैयार किया जाएगा, जो निजी निवेश को बढ़ावा देगी
इलाहाबाद बिजली संयंत्रों के लिए संशोधित बोली की प्रक्रिया नवंबर तक होगी पूरी

First Published : August 5, 2008 | 10:02 PM IST