केन्द्रीय उद्योग और वाणिज्य मंत्रालय ने नासिक इंडस्ट्रियल कोआपरेटिव स्टेट (एनआईसीई) द्वारा प्रस्तावित इंडस्ट्रियल इन्फास्ट्रक्चर अपग्रेडशन योजना (आईआईयूएस) के अंतर्गत नासिक में इंजीनियरिंग क्षेत्र के निर्माण को हरी झंडी दिखा दी है।
एनआईसीई ने नासिक में इंजीनियरिंग क्षेत्र को बनाने कि लिए ‘नासिक इंजीनियरिंग क्लस्टर’ नाम का विशेष उद्देश्य कोष (एसपीवी) बनाया है।इस कोष के लिए एनआईसीई के अध्यक्ष विक्रम शरदा को अध्यक्ष और नासिक नगर निगम के आयुक्त विलास ठाकुर को उपाध्यक्ष नियुक्त किया है। इस योजना के बारे में विक्रम शरदा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘नासिक और इसके आस-पास लगभग 1650 इंजीनियरिंग और इससे संबधित औद्योगिक इकाइयां फैली हुई है।
इन सभी इकाइयों को क्षेत्रीय आधार पर संगठित करने और वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना करने लायक बनाने के लिए एनएससीई ने इस क्षेत्र को इंजीनियरिंग क्लस्टर बनाने का प्रयास शुरु किया है। उन्होंने बताया कि इससे संबधित विस्तृत योजना रिर्पोट को भारत सरकार ने मंजूरी प्रदान कर दी है। इजीनियरिंग क्लस्टर योजना में 67 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। इस योजना को महाराष्ट्र औद्योगिक विकास निगम की जमीन पर बनाया जाएगा।
एनएससीई ने इस योजना को पूरा करने के लिए 1 वर्ष का समय मांगा है। योजना में खर्च होने वाले 67 करोड़ रुपयों में से 50 करोड़ सरकार से सहायक राशि के रुप में प्राप्त होगा। इसके अलावा एनआईसीई इस योजना पर 9.26 करोड़ रुपये और नासिक नगर निगम 8 करोड़ रुपये खर्च करेगा।’
इस इंजीनियरिंग क्लस्टर में सीएडी, सीएएम, सीएई केन्द्रों को स्थापित करने के साथ ताप उपचार केन्द्र रेपिड प्रोटोटाईपिंग, सीएनसी मशीनिंग केन्द्र की भी सुविधा रहेगी। एनआईसीई इस योजना के लाभों को देखते हुए सीएडी, सीएएम और सीएई प्रशिक्षण केंन्द्रों को दो महीनों के भीतर शुरु कर देगी।