मंदी की मार से जहां सभी औद्योगिक इकाइयां बंदी के कगार पर पहुंच रही है। वही कानपुर में फैली हुई होजरी इकाइयां अपने कारोबार को बढ़ाने की योजना बना रही है। देश भर में कानपुर के होजरी उत्पाद प्रसिद्ध है।
जेट इको होजरी के संस्थापक बलराम नरुला का कहना है कि ‘उत्तर प्रदेश और राजस्थान के उपभोक्ताओं की तरफ से इतनी मांग है कि हम पूर्ति ही नहीं कर पा रहें है।
वैश्विक मंदी में होजरी कारोबार के हालातों को बताते हुए नरुला ने बताया कि हमारे उत्पाद बुनियादी आवश्यकताओं के अंतर्गत आते है।
इसलिए वैश्विक मंदी होने के बावजूद हमारे बाजार में इसका कोई सीधा असर नहीं पड़ा है। हां हमारे निर्यात में जरुर कमी आई है, जो हमारे कुल कारोबार का 5 से 10 फीसदी ही बैठता है। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी सहायता न मिलने के बावजूद यह इंडस्ट्री देश में हजारों लोगों को रोजगार प्रदान कर रही है।
लुधियाना के बाद कानपुर की होजरी इंडस्ट्री ही पूरे देश में सस्ते होजरी उत्पादों को उपलब्ध करवाने के लिए प्रसिद्ध है। नरुला ने बताया कि कुछ दिनों पहले ही रिलांयस रिटेल और सालासर जैसी बड़ी कंपनियों ने कानपुर के होजरी उद्यमियों से संपर्क किया था।
लेकिन उद्यमियों ने कंपनी के इस आवेदन में रूचि नहीं दिखाई। कानपुर के पचास होजरी उद्यमियों ने मिलकर उत्तर भारतीय होजरी उद्योग संघ (एनआईएचआईए) का गठन किया है। इस उद्योग संघ का मुख्य उद्देश्य होजरी उद्योग के हालातों को सुधारना है।
करीब बीस साल पहले कलकत्ता के बाद कानपुर ही होजरी उद्योग के बड़े कें द्रों में शुमार था लेकिन पर्याप्त सरकारी सहायता और बुयियादी ढांचा न मिलने से कलकत्ता की तुलना में कानपुर होजरी कारोबार में 300 करोड़ रुपये की कमी आ गई है। कुछ वर्षों पहले कानपुर के स्थानीय उद्यमियों ने मिलकर रूमा औद्योगिक क्षेत्र में हौजरी पार्क को भी स्थापित किया है।
एनआईएचआईए के अध्यक्ष मनोज बांका का कहना है कि यहां के उद्यमि हौजरी उत्पादों के निर्माण में जापानी और ताइवान की मशीनों का प्रयोग कर रहें है।
एनआईएचआईए ने भारत में ताइवान निर्मित मशीनों को बेचने वाली कंपनी महेला मशीन और लघु उद्योग सेवा संस्थान (एसआईएसआई) कानपुर के साथ मिलकर , इन मशीनों को चलाने के लिए मजदूरों को प्रशिक्षित करने की योजना बनाई है।
इस योजना के तहत लगभग 200 लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके अलावा अपनी अलग सिलाई मशीन को स्थापित करने वालों को भी प्रधानमंत्री रोजगार योजना के 2 लाख रूपये तक को ऋण उपलब्ध करवाया जायेगा।
गौरतलब है कि शहर में इस समय लगभग 500 करोड़ रूपये तक के उत्पादों का उत्पादन हो रहा है। उद्योगों को उम्मीद है कि बड़ी कंपनियों के आने से हालत में सुधार होगा।