उत्तर प्रदेश में बेगाना हुआ खाद्य प्रसंस्करण उद्योग

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 5:40 PM IST

देश के प्रमुख कृषि राज्य उत्तर प्रदेश में सरकार की उदासीनता और उपेक्षा के बीच खाद्य प्रसंस्करण उद्योग फंसा पड़ा है।


खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र के लिए स्पष्ट नीतिगत दिशानिर्देशों के अभाव में नई इकाइयां उत्तराखंड को अधिक तरजीह दे रही हैं जहां उन्हें कर राहत भी हासिल है। इसके अलावा कुछ इकाइयां आंघ्र प्रदेश का रुख भी करने लगी हैं।

उत्तर प्रदेश खाद्य प्रसंस्करण नीति 2004 अपना असर खो चुकी है और फिलहाल इस क्षेत्र में निवेशकों को किसी तरह की नई कर राहत, वित्तीय सहायता या सस्ती दरों पर जमीन नहीं मिल रही है। राज्य बागवानी विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देने की तत्काल आवश्यकता है।

सकारात्मक माहौल तैयार करने के लिए सरकार को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण, छूट और अन्य अन्य राहत देनी होगी। इसके अलावा बिजली, सड़क संपर्क और वेयरहाउसिंग जैसी बुनियादी सुविधाओं के अभाव के कारण भी खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र राज्य में पनप नहीं पा रहा है।

क्षेत्रीय खाद्य शोध और विश्लेषण केंद्र के निदेशक आर पी सिंह ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उत्तर प्रदेश में 1,000 पंजीकृत खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां हैं। उन्होंने बताया कि ‘पिछले पांच वर्षो के दौरान ज्यादातर नई इकाइयां पश्चिमी उत्तर प्रदेश और एनसीआर क्षेत्र में खुल हैं, क्योंकि बाकी हिस्सों के मुकाबले इन क्षेत्रों में ढांचागत सुविधाएं कहीं बेहतर हैं।’

खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मुख्यत: अचार, फलों का जूस, जैम, जैली, अमचुर, कैंडी, प्रिजवेटिव, बिस्कुट, तेल, आईस क्रीम, दूध, मशरूम और मीट उत्पादों को तैयार करता है। उद्योग श्रीलंका और पश्चिम एशियाई देशों को प्रसंस्करित उत्पादों का निर्यात भी करता है। सिंह ने बताया कि निर्यात एजेंट राज्य की खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों से उत्पादों को खरीद कर पड़ोसी देशों को निर्यात करते हैं।

हालांकि उत्तर प्रदेश में खाद्य प्रसंस्करण उद्योग के बारे में आंकड़े जुटाने और समुचित योजना और वित्तपोषण के जरिए क्षेत्र को बढ़ावा देने के कोई प्रयास नहीं किए गए हैं। इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के कार्यपालक निदेशक डी एस वर्मा ने बताया कि ‘2003 की नीति में खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों को मंडी शुल्क से छूट दी गई थी। हालांकि यह राहत भी अब खत्म हो गई है और नई इकाइयों को इस समय किसी भी तरह की राहत नहीं दी जा रही है।’

केंद्र पहुंचे चार सेज प्रस्ताव

उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य में विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) की स्थापना के लिए चार प्रस्तावों को केंद्र के पास मंजूरी के लिए भेजा है। इन सेज इकाइयों की स्थापना 90 हेक्टेयर जमीन पर की जाएगी। इनमें से तीन सेज प्रस्ताव आईटी और आईटीईएस क्षेत्र से संबंधित हैं जबकि एक सेज प्रस्ताव कृषि उत्पादों से जुड़ा हुआ है।

गौरतलब है कि इन सभी सेज प्रस्तावों की स्थापना राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र या पश्चिमी उत्तर प्रदेश में की जाएगी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन प्रस्तावों में से सीबीएस इंटरनेशनल प्रोजेक्ट्स प्रा. लि. की स्थापना नोएडा और आरसी इंफो सिस्टम्स प्रा. लि. की स्थापना ग्रेटर नोएडा में की जाएगी। इन इकाइयों की स्थापना क्रमश: 10.29 हेक्टेयर और 10.08 हेक्टेयर क्षेत्रफल पर की जाएगी।

इसके अलावा डायमंड साफ्टवेयर प्रा. लि. की नोएडा में और आनंद एग्रोकेम इंडिया लि. की स्थापना अलीगढ़ में की जाएगी। इस समय उत्तर प्रदेश में करीब 67 सेज प्रस्ताव विभिन्न स्तरों पर राज्य या केंद्र सरकार की मंजूरियों की बांट जोह रहे हैं। ये प्रस्ताव आईटी, बायोटेक, बहुउत्पाद, चमड़ा, हैंडीक्राफ्ट, दवा, कपड़ा, इंजीनियरिंग, अपरंपरागत ऊर्जा और कृषि क्षेत्र से संबंधित हैं। प्रस्तावों को जल्द मंजूरी मिलने की उम्मीद है।

सूत्रों ने बताया कि ज्यादातर सेज प्रस्ताव नोएडा, ग्रेटर नोएडा के लिए हैं। इसके अलावा कानपुर, लखनऊ, उन्नाव, वाराणसी, भदोही, अलीगढ़, गाजियाबाद, चंदौली, मुरादाबाद, मथुरा, दादरी, सिकंदराबाद और आगरा में सेज की स्थापना के लिए भी प्रस्ताव मिले हैं।

First Published : August 18, 2008 | 11:51 PM IST