समर में ‘हाथ’ छोड़ चले चार महारथी

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 10, 2022 | 9:44 PM IST

जैसे जैसे लोकसभा चुनाव नजदीक आ रहा है, कांग्रेस के लिए मुश्किलें भी बढ़ती ही जा रही हैं।
राजनीतिक महकमें में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) के धड़ों राष्ट्रीय जनता दल (राजद), लोक जनशक्ति पार्टी (लोजपा) और समाजवादी पार्टी (सपा) ने उत्तर प्रदेश और बिहार में 120 सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
इन तीनों पार्टियों ने गुरुवार को एक ‘धर्मनिरपेक्ष गठबंधन’ बनाने की घोषणा की। सपा नेता अमर सिंह ने कहा कि तीनों दलों ने 120 सीटों (उत्तर प्रदेश 80 और बिहार 40) पर एक दूसरे के खिलाफ प्रत्याशी न उतारने का फैसला किया है।
हालांकि जिन तीन पार्टियों ने आपस में गठजोड़ किया है, उनकी उत्तर प्रदेश, बिहार या झारखंड में कहीं भी सीधी टक्कर नहीं थी। जहां सपा उत्तर प्रदेश में दमदार भूमिका में है पर बिहार में उसकी मौजूदगी नहीं के बराबर है।
वहीं राजद का दबदबा बिहार और झारखंड में है और उत्तर प्रदेश में पार्टी का कोई खास अस्तित्व नहीं है। कुछ ऐसा ही हाल लोजपा का भी है। पार्टी बिहार में महत्वपूर्ण स्थान रखती है और राजद को थोड़ी टक्कर दे सकती थी पर पार्टी ने पहले ही राजद से गठबंधन की घोषणा कर दी थी।
सपा के महासचिव अमर सिंह ने कहा कि इस गठबंधन के बारे में औपचारिक घोषणा 30 मार्च को की जाएगी। उन्होंने कहा कि पासवान ने पूर्व प्रधानमंत्री वी पी सिंह के बेटे अजय सिंह के खिलाफ उत्तर प्रदेश की फतेहपुर लोकसभा सीट से लड़ने का इरादा छोड़ दिया है।
लोजपा के प्रमुख राम विलास पासवान ने पटना में बताया कि उन्होंने सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव और राजद नेता लालू प्रसाद से  तीनों पार्टियों को ‘सांप्रदायिक ताकतों’ से लड़ने के लिए एक गठबंधन बनाने की मांग की थी। कांग्रेस से सीटों के बंटवारे को लेकर कोई समझौता नहीं होने के बाद से ही पिछले एक हफ्ते से तीनों पार्टियां कांग्रेस से दूरी बनाकर नए विकल्प तलाश रही थीं।
इस गंठबंधन को लेकर अटकलें तभी से लगाई जा रही थीं जब लालू प्रसाद  ने कहा था कि वह उत्तर प्रदेश में जाकर सपा प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करेंगे। इसके साथ ही मुलायम सिंह यादव ने भी संकेत दिया था कि वह बिहार में राजद और लोजपा के लिए प्रचार करेंगे।
दक्षिण में भी झटका
वहीं दूसरी ओर संप्रग के ही महत्वपूर्ण सहयोगियों में से एक पीएमके ने तमिलनाडु में पिछले लोकसभा चुनाव में सूपड़ा साफ करने वाले द्रमुक के नेतृत्व वाले मोर्चे को धता बता कर अन्नाद्रमुक से हाथ मिलाने का फैसला किया है।
अन्नाद्रमुक से सात लोकसभा सीटों (फिलहाल यह संख्या छह है) और राज्यसभा में एक नामांकन का वायदा मिलने पर पीएमके ने यह फैसला किया। यह फैसला उस दिन आया जब 2006 के विधानसभा चुनावों में सात प्रतिशत मत हासिल करने वाली अभिनेता से राजनीतिज्ञ बने विजयकांत की डीएमडीके ने अकेले खुद के दम पर चुनाव लड़ने का फैसला किया।
एमडीएमके, भाकपा और माकपा आगामी लोकसभा चुनावों के लिए पहले ही द्रमुक से अलग होकर अन्नाद्रमुक से हाथ मिला चुकी हैं और अब पीएमके भी इस धड़े में शामिल हो गई।
नीतीश नहीं छोड़ेंगे राजग से दोस्ती
जनता दल युनाइटेड के वरिष्ठ नेता और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने तेजी से बदलते समीकरणों के बीच यह साफ किया है कि उनकी पार्टी कांग्रेस या तीसरे मोर्चे से किसी प्रकार का गठबंधन नहीं करेगी। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि पार्टी भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के साथ है और उसी के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी।
नीतीश ने कहा, ‘जहां तक जनता दल यू का संबंध है तो पार्टी के पास केवल एक ही विकल्प है। पार्टी राजग के साथ है।’ सपा, लोजपा और राजद के गठबंधन के बारे में पूछे जाने पर नीतीश कुमार ने कहा कि वे लगातार झगड़ रहे हैं और फिर एक दूसरे के साथ आ रहे हैं।
कुमार ने कहा कि बिहार में संप्रग बिखर गया है और वहां राजग और संप्रग के बीच अभी कोई मुकाबला नहीं है लेकिन कांग्रेस  राजद और लोजपा के साथ लड़ रहा है। 
बिहार और उत्तर प्रदेश में लोजपा तथा राजद के साथ ‘धर्मनिरपेक्ष गठबंधन’ बनाने वाले सपा प्रमुख मुलायम सिंह पर चुटकी लेते हुए नीतीश ने कहा कि एक समय उन्होंने कांग्रेस के साथ युध्द छेड़ दिया था और अगले ही क्षण उन्होंने कांग्रेस के नेतृत्व वाली सरकार बचाई जो गिरने ही वाली थी। और इस सबके बावजूद दोनों के बीच कोई सौहार्दपूर्ण रिश्ता नहीं है।

First Published : March 26, 2009 | 10:42 PM IST