महाराष्ट्र में वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (डब्ल्यूडीएफसी) का महत्त्वपूर्ण हिस्सा एक बार फिर नीतिगत और राजनीतिक दलदल में चला गया है। केंद्र और महाराष्ट्र सरकार कॉरिडोर के लिए किए जाने वाले काम पर पर्यावरण संबंधी पाबंदियों को लेकर आमने-सामने हैं।
बिजनेस स्टैंडर्ड को पता चला है कि रेलवे बोर्ड के चेयरमैन विनय कुमार त्रिपाठी ने अब महाराष्ट्र के मुख्य सचिव मनुकुमार श्रीवास्तव को पत्र लिखकर परियोजना की अहमियत पर जोर देते हुए कॉरिडोर का खुदाई कार्य जारी रखने की अनुमति देने के लिए कहा है।
मार्च के बाद से राज्य सरकार ने खुदाई का ऐसा सारा कार्य रोका हुआ है, जिसमें कोई पर्यावरण संबंधी मंजूरी न हो और इसमें डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (डीएफसीसीआई) द्वारा बनाया जा रहा कॉरिडोर भी शामिल है। यह कदम राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) द्वारा फरवरी में पत्थर खनन और बुनियादी ढांचा परियोजनाओं के लिए स्टोन क्रशिंग कार्य के खिलाफ पारित किए गए आदेश के बाद उठाया गया था। त्रिपाठी के 10 जून वाले पत्र में कहा गया है कि एनजीटी पुणे के आदेश (फरवरी में) के अनुसार महाराष्ट्र सरकार ने संभागीय आयुक्त और कलेक्ट्रेट को निर्देश दिया किया है कि पर्यावरण मंजूरी के बिना खदान और खनिज खुदाई कार्य के परमिट जारी नहीं किए जाने चाहिए, जिससे डीएफसी कार्यों की प्रगति अटक गई है।
त्रिपाठी ने तर्क दिया है कि एनजीटी का आदेश पत्थर खनन और स्टोन क्रशिंग गतिविधियों पर लागू होता है, न कि धरती की सामान्य खुदाई पर। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पहले ही बताया है कि डीएफसी जैसी परियोजनाओं को मिट्टी की साधारण खुदाई के लिए पर्यावरणीय मंजूरी से छूट दी गई है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया है कि पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने पहले ही बताया है कि डीएफसी जैसी परियोजनाओं को साधारण मिट्टी की खुदाई के लिए पर्यावरणीय मंजूरी से छूट दी गई है।
यह पत्र केंद्र और राज्य के बीच महीनों से लगातार चल रहे तर्क-वितर्क के बीच नवीनतम घटनाक्रम है। मामले की जानकारी रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि हम तीन महीने से उनके साथ विचार-विमर्श करने का प्रयास कर रहे हैं। बातचीत के संबंध में धीमी प्रगति हुई है, यही वजह है कि सीधे चेयरमैन को पत्र लिखना पड़ा।