मिल रहा है सस्ता अनाज, लेकिन कागज पर

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 9:24 PM IST

सस्ती दरों पर गरीबों को चावल और गेहूं मुहैया कराने की योजना के विज्ञापन जारी करने पर जहां चुनाव आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार से जवाब तलब किया है वहीं गरीबों को अभी भी सस्ता गेहूं और चावल मिलने का इंतजार है।




देश में सबसे बढ़िया गेहूं पैदा करने वाले इलाके सीहोर जिले के जमुनिया गांव के लोगों को अभी भी केन्द्र सरकार द्वारा भेजे गए लाल रंग के गेहूं पर ही संतोष करना पड़ रहा है। यह राज्य के एक काबिना मंत्री का गांव भी है। एक सरकारी प्रवक्ता ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि सस्ता गेहूं और चावल इस माह की 17 तारीख से उपलब्ध होगा।

बैतूल में उपचुनाव के कारण गांव-गांव में इस बात की जानकारी भेजी जा चुकी है कि मध्य प्रदेश सरकार गरीबों को काफी सस्ता गेहूं और चावल बांटने जा रही है। राज्य सरकार की इस योजना के तहत साढ़े चार रुपये प्रति किलो की दर से चावल और तीन रुपये प्रति किलो की दर से गेहूं दिया जाएगा। यह योजना गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने वाले लोगों के लिए है। योजना के तहत प्रत्येक गरीब परिवार को सरकारी गल्ले की दुकानों से उचित मूल्य पर प्रति माह कम के कम 20 किलो अनाज दिया जाएगा।

सरसरी तौर पर देखें तो लगता है कि इस घोषणा को सुन कर गरीब खुशी से झूम उठेंगे। लेकिन फिलहाल अभी तक ऐसा कहीं भी देखने को नहीं मिला है। जिनके लिए यह योजना बनी है उन्हें अच्छी तरह से पता है कि घोषणाएं हवा में की जाती हैं और उनका अमल कागज पर।

जमुनिया गांव के नाथुराम प्रजापति का कहना है कि उन्होंने 8 दिन पहले ही सरकारी दुकान से 8 रुपये प्रति किलो की दर से लाल गेहूं खरीदा था। उनका कहना है कि उन्हें नहीं मालूम है कि गेहूं अब 3 रुपये किलो मिलेगा। दूसरी ओर पास के गांव कांकरखेड़ा के लोगों का कहना है कि उन्हें इस योजना के बारे में पता है लेकिन अभी तक सस्ता गेहूं मिलना शुरू नहीं हुआ है। शायद कुछ दिनों में यह योजना लागू हो सकेगी। भऊखेड़ी गांव के रमेश राम प्रसाद का कहना है कि ‘सरकारी सस्ते राशन की दुकान का संचालक उन्हें किसी नई योजना की जानकारी नहीं देता है। अब जब जानकारी ही नहीं होगी तो सस्ता अनाज कैसे मिलेगा।’

यह बात भी सामने आई है कि कई जगह या तो राशन कार्ड बने ही नहीं हैं और अगर बने हैं तो जरुरतमंदों को राशन दिए बगैर ही सामान चढ़ा दिया गया है। राम प्रसाद कहते हैं कि कागज पर तो अनाज बंट जाता है लेकिन हमें नहीं मिलता है। भाऊखंड़ी के ही हेमराज वर्मा गांव की पंचायत के कई बार चक्कर काट चुके हैं लेकिन उनका राशन कार्ड अभी तक नहीं बन सका है। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि सरकार गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों तक सस्ता अनाज पहुंचाने की पूरी कोशिश कर रही है और अगले 15 दिनों में हर जगहर् नई दरों पर अनाज मिलने लगेगा।

First Published : April 14, 2008 | 9:33 PM IST