कानपुर शहर में वाहन कलपुर्जे बनाने वाली कंपनियों के दिन फिर रहे हैं।
पिछले कुछ अरसे से ऑटो उद्योग के नरम पड़ने से कलपुर्जों की मांग घट गई थी, लेकिन वक्त ने पलटी खाई और इन्हें फिर ठेके मिल रहे हैं।
ऑटो कंपनियों के लिए कलपुर्जों की आपूर्ति करने वाले केंद्र के तौर पर कानपुर मशहूर है। इन कंपनियों का उत्पादन पिछले साल दिसंबर के मुकाबले अब बढ़कर 3 गुना हो गया है। मारुति के कुछ मॉडलों की मांग में काफी तेजी आई है। इसीलिए यहां मौजूद ऑटो कलपुर्जा कंपनियों का उत्पादन भी बढ़ गया है। यहां की कई कंपनियां मारुति को कलपुर्जे देती हैं।
बढ़ती मांग ने तो इन कंपनियों में नई जान ही फूंक दी है। शहर में मौजूद इकाइयां टेल्को, हॉलैंड ट्रैक्टर्स, टाटा मोटर्स और एलएमएल को कलपुर्जों की आपूर्ति करती हैं। नेटप्लास्ट के प्रबंध निदेशक आर के अग्रवाल ने बताया कि कंपनी टाटा मोटर्स को प्लास्टिक कलपुर्जों और सीटें देती है। मंदी के कारण मांग घटकर 1,000 वाहनों के लिए रह गई थी।
लेकिन पिछले महीने उसे 7,000 वाहनों के लिए कलपुर्जे बनाने शुरू किए हैं। टाटा मोटर्स की सीटों के लिए मेटल पुर्जे बनाने वाले राजशेखर नायर को भी मंदी का झटका लगा था, लेकिन अब उन्हें 4,000 सीटों के लिए मेटल कलपुर्जे बनाने का ऑर्डर मिला है।
दूसरी तरफ छोटी कार श्रेणी की अग्रणी कंपनी मारुति अपने ग्राहकों की मांग पूरी नहीं कर पा रही है। मारुति के सेल्स प्रबंधक आनंद शर्मा ने बताया कि ए-स्टार और स्विफ्ट के लिए लगभग 10 हफ्ते एडवांस में बुकिंग कराई जा रही है।
मंदी से पहले ऑटो कंपनियों के उत्पादन पर नजर डालें तो तस्वीर साफ हो जाती है। मंदी से पहले टाटा मोटर्स के जमशेदपुर संयंत्र में 9,000 और लखनऊ में 3,000 वाहनों का निर्माण किया जा रहा था।
बाजार गुलजार
फिर बुहर रहे हैं ऑटो कलपुर्जा कंपनियों के दिन
ऑर्डरों की संख्या में हो रहा है इजाफा
दिसंबर के मुकाबले उत्पादन में 3 गुना तक इजाफा
मारुति और टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों ने बढ़ाई मांग