पंचेश्वर पनबिजली को हरी झंडी

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 1:40 AM IST

एक लंबे समय तक बड़े बांधों का विरोध करने के बाद उत्तराखंड सरकार ने यू-टर्न लेते हुए 6000 क्षमता वाली पंचेश्वर पनबिजली परियोजना के निर्माण कार्य के लिए अपनी सहमति दे दी है।


मुख्य सचिव आई के पाण्डे ने इस बात की पुष्टि करते हुए कहा, ‘हम लोग पंचेश्वर बांध के निर्माण के लिए तैयार हैं।’ सरकारी सूत्रों ने बताया कि यहां एक पंचेश्वर विकास प्राधिकरण की भी स्थापना की जाएगी जिसमें भारत और नेपाल के आला अधिकारियों को शामिल किया जाएगा।

राज्य के ऊर्जा सचिव शत्रुघ्न सिंह प्राधिकरण के सदस्य होंगे जिसकी स्थापना परियोजना के संबंधित विभिन्न मामलों और डीपीआर में तेजी लाने के लिए किया जाएगा। इस परियोजना को 1996 के महाकाली संधि के आधार पर प्रस्तावित किया गया है।

सूत्रों ने बताया कि नेपाल में माओवादी सरकार के गठन के साथ ही एशिया के सबसे बड़े बांधों में से एक इस पनबिजली परियोजना के भविष्य को लेकर संदेह की दृष्टि से देखा जा रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी भी बड़े बांधों के निर्माण का विरोध कर रहे हैं, जिससे की पुनर्वास की समस्या उत्पन्न होती है।

सूत्रों ने बताया कि इस पहाड़ी राज्य में विभिन्न कारणों से कई पनबिजली परियोजनाओं को रोका जा रहा है इसलिए सरकार ने इस दफा पंचेश्वर बांध के निर्माण को हरी झंडी दे दी है।

मालूम हो कि पंचेश्वर पनबिजली परियोजना टिहरी बांध से आकार में तीन गुना बड़ा होगा। इस बांध को सूबे के पिथौरागढ़ और चंपावत जिले में काली नदी पर प्रस्तावित किया गया है।

इसका कुछ हिस्सा नेपाल के साथ भी है। इस परियोजना के लिए 30,000 से 40,000 करोड़ रुपये निवेश किए जाएंगे। इस परियोजना में 12 इकाइयां होंगी और हर इकाई 540 मेगावाट की होगी। निर्माण कार्य से पिथौरागढ़ और चंपावत जिले सहित इसके आसपास के क्षेत्र से हजारों लोगों को उखाड़ फेंका जाएगा।

बांध के बनने के बाद भारत के लगभग 80 फीसदी क्षेत्र जलमग्न हो जाएगा जबकि बाकी क्षेत्र नेपाल का जलमग्न होगा।पंचेश्वर बांध की ऊंचाई 238 मीटर से बढ़ाकर 315 मीटर कर दी गई है। इसके अलावा, पंचेश्वर बांध के लिए 121 वर्ग किमी का दायरा जलाशय के लिए सुनियोजित किया गया है, जिससे 100 से अधिक गांव पूरी तरह जलमग्न हो जाएगा।

हालांकि सूत्रों ने बताया कि बांध की क्षमता की तुलना में यहां से उखाड़े जाने वाले लोगों की संख्या अपेक्षाकृत कम होगी।

First Published : October 26, 2008 | 9:46 PM IST