तीन महीनों तक चली मूसलाधार बारिश ने प्रदेश में बाढ़ से तबाही तो मचायी है पर एक खुशी की बात यह रही है कि बुंदेलखंड सहित पूरे राज्य में सालों से नीचे जा रहे भूजल के स्तर में खासा सुधार आया है।
समूचे बुंदेलखंड में इस मानसून में औसत से करीब 25 फीसदी ज्यादा बारिश हुयी है और इसके चलते पांच सालों के बाद खरीफ की अच्छी फसल का अनुमान लगाया जा रहा है।
भूगर्भ जल निदेशालय के अधिकारियों का कहना है कि बुंदेलखंड के सात जिलों में भूजल का स्तर करीब तीन से पांच मीटर तक बढ़ गया जो कि अपने आप में महत्वपूर्ण है।
हालांकि अधिकारियों का कहना है कि बारिश के थमने के बाद भूजल के बढ़े स्तर में कुछ गिरावट जरुर आएगी पर फिर भी पहले के मुकाबले कम से कम तीन मीटर तक भूजल का स्तर बढ़ा रहेगा।
इस साल समूचे उत्तर प्रदेश में मानसून की हालत बीते सालों के मुकाबले काफी अच्छी रही है। प्रदेश के पूर्वी भागों में तो बारिश के बाद बाढ़ ने खासी तबाही मचायी है।
गोरखपुर और कुशीनगर के कई जिले अभी भी बाढ़ से उबर नहीं सके हैं। इन जिलों के चार दर्जन गांवों में अभी भी पानी भरा हुआ है।
बहराइच, बलरामपुर, बस्ती, सिध्दार्थनगर, कुशीनगर, गोंडा और श्रावस्ती जिलों में भूजल का स्तर सात से 10 मीटर तक ऊपर आ गया है।
गौरतलब है कि बीते 10 सालों में उत्तर प्देश के 70 में से 69जिलों में भूजल स्तर खतरे का निशान से भी नीचे चला गया था और विशेषज्ञों का कहना था कि इन जिलों में बोरिंग का काम रोक देना चाहिए क्योंकि बिना रिचार्ज के इनका सफल हो पाना मुश्किल काम होगा।
सरकार के भूजल विभाग की एक रिपोर्ट के मुताबिक बहराइच को छोड़कर प्देश के सारे जिलों में भूजल का स्तर खतरे की सीमा पार कर चुका था।
भारी बारिश का अनुमान
राज्य में शुरू हो चुका बारी का दौर अगले 2 से 3 दिनों तक जारी रह सकती है और अगले 24 घंटे के दौरान तेज हवाओं के चलते का अनुमान है।
राज्य मौसम विभाग के निदेशक मन्नू राम ने बताया कि इस साल उत्तर प्रदेश में सामान्य से 8 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है और क्षेत्र में सितंबर तक मानसून सक्रिय रहेगा।
राजधानी लखनऊ और औद्योगिक शहर कानपुर में भारी बारिश होने से कई स्थानों पर भारी जल-भराव की खबर है।