देश के दो बड़े औद्योगिक राज्यों महाराष्ट्र और गुजरात को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि घरेलू कोयला आपूर्ति में कमी आ रही है और आयातित कोयला आधारित उत्पान को रोक दिया गया है।
हालांकि, महाराष्ट्र से मिल रहे संकेत उलझन में डालने वाले है क्योंकि एक ओर जहां राज्य के ऊर्जा विभाग ने खतरे की घंटी बजा दी है वहीं दूसरी तरफ उत्पादन स्टेशनों का कहना है कि आपूर्ति की स्थिति नियंत्रण में है।
गुजरात में त्योहारी मांग के साथ ही ऊर्जा किल्लत की शुरुआत हो गई है। राज्य में लगभग सभी आयातित कोयला आधारित संयंत्र बंद पड़े हैं जिनसे करीब 8 गीगावॉट का उत्पादन होता है। इनमें अदाणी पावर की मुंद्रा इकाई और टाटा पावर तथा एस्सार की सलाया इकाई शामिल हैं। टैरिफ के मसले पर राज्य सरकार के साथ नियामकीय टकारावों के कारण मुंद्रा की दो इकाइयां पहले से ही आपूर्ति नहीं कर रही हैं।
केंद्र सरकार के एक पोर्टल पर दिए गए आंकड़ों के मुताबिक राज्य की गैस आधारित इकाइयां बंद पड़ी थी जिनसे 6 गीगावॉट का उत्पादन होता है। शनिवार को राज्य में ऊर्जा की कमी 17 लाख यूनिट थी लेकिन अधिकारियों ने इसका कारण उच्च त्योहारी मांग को बताया था। अधिकारियों ने यह भी इंगित किया कि गुजरात ने पहले ही अक्टूबर में मांग बढऩे का अनुमान लगा लिया था लिहाजा राज्य सरकार ने अक्टूबर से दिसंबर अवधि के दौरान कुल 1.5 गीगावॉट बिजली आपूर्ति के लिए लघु अवधि के समझौते किए हैं।
गुजरात की दो कोयला आधारित घरेलू इकाइयों में 11 और 22 दिनों का कोयला है और दो अन्य इकाइयों में तीन और सात दिनों का कोयला बचा है। हालांकि, मांग बढऩे और आयातित कोयले वाले संयंत्रों और गैस संयंत्रों के बंद होने से घरेलू कोयला आपूर्ति पर अतिरिक्त दबाव है।
महाराष्ट्र में स्थिति ज्यादा गंभीर है। राज्य में एक को छोड़कर बाकी सभी ताप बिजली इकाइयों में छह या उससे कम दिनों का कोयला बचा है जिसे नाजुक स्थिति के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है। 9 अक्टूबर को पांच इकाइयों में एक दिन का कोयला बचा था जबकि तीन में कोयले की कोई आपूर्ति नहीं हो रही थी।
राज्य में फिलहाल ऊर्जा की किल्लत नहीं है लेकिन सरकारी अधिकारियों ने आगामी दिनों में बिजली कटौती को लेकर चेताया है। महाराष्ट्र के ऊर्जा विभाग के प्रधान सचिव दिनेश वाघमारे ने रविवार को मीडिया से कहा, ‘हम खुले बाजार से बिजली खरीद कर मांग को पूरा कर रहे हैं लेकिन मांग बढऩे पर हमें विद्युत आपूर्ति बाधित करनी पड़ेगी।’ उन्होंने आगे कहा कि ताप बिजली संयंत्र 60 फीसदी क्षमता के साथ चल रहे हैं हालांकि आगामी दिनों में कोयला आपूर्ति में सुधार होने की उम्मीद है। वाघमारे ने कहा, ‘अक्टूबर महीने में व्यस्त घंटों के दौरान बिजली की मांग 22,000 मेगावॉट पर पहुंच जाती है और ऐसे में हमें बिजल कटौती करनी पड़ती है।’
राज्य के ऊर्जा विभाग ने उपभोक्ताओं से भी व्यस्थ घंटों (सुबह और शाम 6 बजे से 10 बजे तक) के दौरान बिजली बचाने की अपील की है।