निर्यात घटने से हस्तशिल्पी मायूस

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 5:05 AM IST

कभी अपनी हस्तकला के दम पर देश का परचम विदेशों मे लहराने वाले उत्तर प्रदेश के कारीगर अब मंदी की मार से परेशान हैं।


चिकन और सिल्क के कारीगर काम न मिलने से परेशान हैं तो उद्योग चलाने वाले विदेशों से ऑर्डर रद्द होने को लेकर परेशान हाल दिख रहे हैं। विदेशों से 80 फीसदी के करीब निर्यात के ऑर्डर न आने से उद्योगों को अपनी लागत को बचाकर काम चलाना दिक्कत का काम लग रहा है।

वाराणसी में ही काफी तादाद में बुनकर सड़क पर आ गए हैं। इसका बड़ा कारण विदेशों से ऑर्डर के न मिलने से हो रहा है। लखनऊ के चिकन कारीगरों पर भी इस मंदी का असर पड़ा है और अकेले राजधानी में ही कई कंपनियों का विदेशों का ऑर्डर निरस्त हो गया है जिसके चलते न केवल कंपनियां बल्कि जरदोजी के कारीगर बेकारी की मार झेल रहे हैं।

मंदी की हालात पर काबू पाने के लिए अभी उत्तर प्देश के छोटे और मझोले उदयोगों के सबसे बड़े संगठन इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन ने कवायद शुरु की है। उद्योगों के इस संघ की कार्यकारिणी की बैठक इस बार इसी महीने मुरादाबाद में हो रही है।

नवंबर 27 को हो रही इस बैठक में आईआईए के पदाधिकारी मंदी से निबटने के उपाओं पर विचार करेंगे। आईआईए के कार्यकारी निदेशक डीएस वर्मा ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि उन्होंने मंदी की मार उद्योगों पर असर का खुद सर्वे किया है और अब मुरादाबाद की बैठक में इसी से निपटने के तौर तरीकों पर गहन चर्चा होगी।

उनका कहना है कि उत्तर पदशो के उद्योगों को सबसे बड़ा घाटा निर्यात के ऑर्डर रद्द होने से हो रहा है। वाराणसी के सिल्क नियार्तकों ने तो मुनाफा घटने की दशा में विदैश व्यापार मेलों में जाने, बिना किसी पक्के ऑर्डर के कॉल करने जैसे झंझटों से छुटकारा पा लिया है।

रजत सिनर्जीकाफ्ट के मालिक रजत पाठक का कहना है कि विदेश में मांग घटी है और अब पुराने लोग माल लेने से भी कतराने लगे हैं जिसके चलते सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है। अब कारीगरों के सामने काम पाने का भी संकट खड़ा हो गया है।

डीएस वर्मा का कहना है कि संकट की मार भारत अकेले नही बच सकता है पर फिर भी मंदी की आं में सबसे कम हम भारतवासी ही झुलसेंगे। उनका कहना है कि केंद्र सरकार और राज्य की सरकारें अगर मिल कर कदम उठाएं तो भला हो सकता है और करोड़ों की रोजी रोटी भी बचेगी।

उन्होंने कहा कि मुरादाबाद की बैठक में केंद्र सरकार को किसी पैकेज के बारे में सुझाव दिया जा सकता है।

First Published : November 25, 2008 | 9:01 PM IST