आईआईटी में ओबीसी आरक्षण इसी सत्र से लागू किये जाने के लिए धन की कमी का खामियाजा छात्रों को उठाना पड़ा रहा है।
नई व्यवस्था के कारण आईआईटी काउंसिल (एससीआईटी) द्वारा फीस बढ़ोतरी की सिफारिशों के बाद ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट छात्रों के समक्ष एक नई समस्या सामने आ खड़ी हुई है। अब आईआईटी कानपुर के ग्रेजुएट कोर्स के छात्र को आठ सेमेस्टरों में लगभग 88 हजार रुपये फीस के तौर पर देने पड़ेंगे। आईआईटी के सभी ग्रेजुएट और पोस्ट ग्रेजुएट व्यावसयिक पाठयक्रमों की फीस को दोगुना कर दिया गया है।
सर्वोच्च न्यायालय ने केन्द्रीय शिक्षण संस्थानों को सामान्य श्रेणी की सीटों की संख्या को बिना कम किये ओबीसी आरक्षण लागू करने के लिए सीटों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिये है। छात्रों की संख्या में बढ़ोतरी करने के लिए बुनियादी ढांचे का विस्तार किया जाना है। इसके लिए आवश्यक कोष को उपलब्ध कराने के लिए आईआईटी ने फीस बढ़ाने का फैसला किया है। आईआईटी कानपुर ने इस वर्ष आरक्षण के अंतर्गत सीटों की संख्या में 9 फीसदी की बढ़ोतरी करने का निर्णय लिया है।
आईआईटी कानपुर के निदेशक संजय गोविंद धांडे ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि आईआईटी कानपुर में इस शैक्षिक सत्र में सीटों की संख्या में 9 फीसदी की बढ़ोतरी की जाएगी। ऐसा करने के कारण संस्थान के बजट में लगभग 250 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय जुड़ेगा। धांडे ने बताया कि इतनी बड़ी रकम संस्थान में बुनियादी सुविधाओं की बेहतरी के लिए फीस वृद्धि के माध्यम से जुटाई जाएगी।
धांडे का कहना है कि संस्थान को केन्द्र द्वारा मिलने वाली राशि आरक्षण को इस सत्र में लागू करने के लिए पर्याप्त नहीं है। संस्थान में शिक्षकों को उपलब्ध कराने के सवाल पर धांडे ने बताया कि नए सत्र में 30 शिक्षकों को संस्थान में लाया जा रहा है। इसके अलावा संस्थान में पहले से पढ़ा रहें शिक्षको की सेवानिवृति की आयु को 62 वर्ष से बढ़ाकर 65 वर्ष किया जा रहा है।
धांडे ने कहा कि संस्थान में उपयुक्त शिक्षिकों को लाने के लिए वे व्यक्तिगत तौर पर प्रयासरत है। इसके अलावा अच्छे शिक्षिकों की भर्ती के लिए वेतन और आवश्यक भत्तों के वर्तमान स्तर में सुधार किया जा रहा है।
संस्थान के छात्रों का कहना है कि संस्थान में पर्याप्त लेक्चर हॉल नहीं है। छात्रों की संख्या बढ़ने से प्रयोगशालाओं पर भार बढेग़ा, जिससे शिक्षा के स्तर में गिरावट आ सकती है। इसके जवाब में धांडे का कहना है कि अगले सत्र में आरक्षण लागू होने से संस्थान द्वारा प्रदान की जाने वाली शिक्षा के स्तर में किसी भी तरह की गिरावट नहीं आयेगी।