उत्तराखंड में भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा में निजी कंपनियों के निवेश को आकर्षित करने के लिए वित्तीय विभाग ने एक योजना प्रस्तावित की है।
इस योजना में निजी-सार्वजनिक भागीदारी (पीपीपी) के तहत राज्य सरकार 50 फीसदी तक मदद कर सकती है। उत्तराखंड बुनियादी ढांचा के विकास के लिए प्रस्तावित वायवलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) की रूपरेखा अंतिम चरण में है और बहुत जल्द ही यह राज्य कैबिनेट के समक्ष रखी जाएगी।
वीजीएफ योजना के तहत भौतिक संरचना खंड में सड़क, पुल, एयरपोर्ट, बिजली और सेज को विकसित किया जाएगा। सामाजिक बुनियादी ढांचा खंड में शैक्षणिक संस्थान, विद्यालय, स्वास्थ्य, कृषि, वन और पर्यावरण संरक्षण को शामिल किया गया है।
इस उद्देश्य के लिए विभाग ने वीजीएफ के तहत आने वाले प्रस्तावों के अवलोकन करने के लिए एक स्थायी समिति के गठन की भी बात की है। इस समिति के प्रमुख मुख्य सचिव होंगे। इस योजना के तहत गठित पीपीपी सेल बतौर सचिवालय काम करेगा।
इस योजना की प्रारूप के मुताबिक संबद्ध विभागों के द्वारा वीजीएफ की रूपरेखा तैयारी की जाएगी और फिर वह सचिवालय को सौंप दी जाएगी। अगर इसके लिए जारी कोष में 5 करोड़ से कम की कमी होगी, तो समिति इसकी मंजूरी की दिशा तय करेगी।
प्रमुख सचिव (वित्त) आलोक जैन ने कहा कि राज्य सरकार अकेले अपने दम पर भौतिक और सामाजिक बुनियादी ढांचा विकसित नही कर सकती है। इसमें जब निजी कंपनियों की भागीदारी होगी, तो उस परियोजना को राज्य सरकार की तरफ से मदद दी जाएगी। कुछ ऐसी परियोजनाएं, जिसका निर्माण मुश्किल है, उसे सरकार अपनी फंडिंग के जरिये विकसित करने की कोशिश करेगी।