उड़ीसा में दंगों की लपटों में जल रहा निवेश

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 7:44 PM IST

उड़ीसा में बड़ी औद्योगिक परियोजनाओं के लिए अधिग्रहण की जा रही भूमि पर हो रहे बवाल, माओवादियों का प्रचंड तांडव और हाल ही में कंधमाल और कोरापुट जिले में हुए सांप्रदायिक दंगों ने सूबे के कई मोर्चों पर जबरदस्त आघात किया है।


अब तो यहां के उद्योगपति भी महसूस करने लगे हैं कि अभी से कुछ साल पहले जहां राज्य के आर्थिक और औद्योगिक विकास को एक नई जिंदगी मिली थी, उस पर खतरे के बादल मंडराने शुरू हो चुके हैं। वे यह भी भली-भांति समझ रहे हैं कि राज्य में लंबे समय से हाशिए पर पहुंच चुकी अर्थव्यवस्था एवं औद्योगिक विकास की वजह से यहां पर निवेश भी बुरी तरह प्रभावित हो चुका है।

पिछले पांच सालों में राज्य के विभिन्न क्षेत्रों जैसा-स्टील, एल्यूमीनियम, बिजली, बंदरगाह और बुनियादी सुविधाओं आदि में छह लाख करोड़ रुपये से भी अधिक निवेश किया गया है। उद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि राज्य में सांप्रदायिक दंगों, माओवादियों की बढ़ती घटनाओं और साथ ही सूबे में पोस्को, टाटा स्टील, उत्कल एल्यूमिना और वेदांता की प्रस्तावित परियोजनाओं के खिलाफ हो रहे विरोध प्रदर्शनों से निवेश पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

इसमें कोई शक नहीं कि राज्य की जो निवेश के अनुकूल छवि बनी हुई थी, वह भी बुरी तरह प्रभावित होगी। यह कहने की जरूरत नहीं कि साल 2006 के जनवरी महीने में कलिंगनगर में सुरक्षा बलों और स्थानीय आदिवासी आंदोलनकारी के बीच हुए खूनी संघर्ष में करीब 14 लोगों की जानें गई थीं और जिसके बाद राज्य में एक साल तक औद्योगिक प्रक्रिया पूरी तरह चरमरा गई थी।

राज्य की ज्यादातर बड़ी परियोजनाएं स्थानीय दुश्मनी की वजह से अपनी तय समय-सीमा से काफी पीछे चल रही हैं। उत्कल चैंबर ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री के अध्यक्ष निरंजन मोहंती ने बताया, ‘राज्य में होने वाली ऐसी छिटपुट  घटनाओं से निवेश पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ने वाला है। लेकिन सूबे में इस तरह की घटनाएं लगातार होती रही तो निस्संदेह यहां की अर्थव्यवस्था और औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल असर पड़ेगा ही पड़ेगा।

बहरहाल, हमलोग उड़ीसा को हमेशा एक शांतिपूर्ण राज्य के रूप में पेश करते हैं और राज्य निवेश के लिए इसीलिए अनुकूल है कि यहां का माहौल हिंसा से मुक्त है।’ मोहंती ने आगे बताया कि इस आशंका से बिल्कुल भी इनकार नहीं किया जा सकता है कि राज्य में तेजी से बढ़ रहे सांप्रदायिक दंगों, आंदोलनों और बंद की वजह से निवेशक सूबे में निवेश करना बंद कर सकते हैं।

उनकी यह टिप्पणी हाल ही में कंधमाल जिले में हुए सांप्रदायिक दंगे के काफी नजदीक प्रतीत होती है। उल्लेखनीय है कि 23 अगस्त को कंधमाल जिले के जलेस्पेट आश्रम में कुछ अज्ञात उपद्रवियों ने विश्व हिन्दू परिषद के वरिष्ठ नेता स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती और उनके चार शिष्यों को जान से मार डाला था, जिसके बाद वहां सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे।

कंधमाल में शुरू हुई सांप्रदायिक हिंसा की लपटों ने राज्य के अन्य 14 जिलों को भी अपनी चपेट में ले लिया। इस दंगे में कोरापुट, गजपति और बरगढ़ में हुए दंगों में करीब 15 लोगों की मौत हो चुकी है। उड़ीसा चैप्टर ऑफ दी कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री (सीआईआई) के अध्यक्ष संतोष महापात्र ने बताया, ‘आंदोलन और बढ़ती हिंसा की घटनाएं किसी भी राज्य के औद्योगिक विकास में सबसे बड़ी बाधा होती हैं।

ऐसी ही हिंसा की घटनाओं का उड़ीसा मुक्तभोगी रहा है। यहां बड़ी परियोजनाओं के लिए भूमि अधिग्रहण को लेकर काफी विरोध प्रदर्शन का सामना करना पड़ा है। अगर हमें वास्तव में राज्य की आर्थिक स्थिति बेहतर बनानी है तो सबसे पहले यहां की जनता में इस बात को आश्वस्त करना होगा कि औद्योगिक विकास राज्य और जनता के हित में है। इससे राज्य के साथ-साथ देश का विकास भी होगा।’

हालांकि उड़ीसा पर्यटन विभाग के निदेशक रबि नारायण नंदा ने बताया, ‘कंधमाल जिले में हाल ही में हुई सांप्रदायिक दंगों से राज्य के पर्यटन पर किसी तरह का प्रतिकूल असर नहीं पड़ेगा। इन स्थानीय घटनाओं से पर्यटन कारोबार पर कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। पर्यटन के लिहाज से उड़ीसा बेहतरीन जगह है। इस घटना को लेकर पर्यटकों में गलत सोच पैदा की जा रही है।’

First Published : September 3, 2008 | 10:02 PM IST