जालंधर में 450 से अधिक नर्सिंग होम हैं, जिसके कारण इसे मेडिकल पर्यटन के केन्द्र के तौर पर भी जाना जाता है।
शहर में आर्थोपायलट नेवीगेशन सेंटर की शुरूआत के साथ ही यह छवि और भी पुख्ता हो गई है। इस सेंटर के जरिए आर्थोपेडिक सर्जरी के दौरान 100 प्रतिशत सफलता मिलने का दावा किया गया है। इस सेंटर के शुरू होने के बाद जालंधर में पहले के मुकाबले अधिक प्रवासी भारतीयों के आने का अनुमान है।
आर्थोपेडिक नेवीगेशन सेंटर की शुरुआत के साथ ही जालंधर उत्तर भारत का प्रमुख मेडिकल शहर बन कर उभरा है। यहां पर विदेशों के मुकाबले कम कीमत पर अंतरराष्ट्रीय स्तर की इलाज की सुविधाएं उपलब्ध हैं। इस नेवीगेशन सेंटर की अनुमानित लागत 85 लाख रुपये है और इसे जोशी हॉस्पीटल एंड ट्रामा सेंटर में शुरू किया गया है।
इस अस्पताल में हड्डी के कई जटिल आपरेशन किए जा चुके हैं। अस्पताल के निदेश मुकेश जोशी ने कम्प्यूटर की मदद से ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी का प्रदर्शन किया।जालंधर पूरे क्षेत्र में मेडिकल पर्यटन का प्रमुख केन्द्र बन कर उभरा है और नवीनतम हाई-फाई प्रौद्योगिकी के आने से न सिर्फ देशी बल्कि विदेशी पर्यटक भी बड़ी संख्या में यहां इलाज कराने के लिए आ रहे हैं। विदेशी पर्यटकों के लिए यहां अपेक्षाकृत कम कीमत पर अंतरराष्ट्रीय चिकित्सा सुविधांए हासिल हैं।
आर्थोपायलट प्रणाली का ब्योरा देते हुए जोशी ने बताया कि इसमें अत्याधुनिक कैमरा, कम्प्यूटर और साफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाता है। परंपरागत ढंग के मुकाबले आर्थो पायलट के जरिए अधिक अच्छे नतीजे हासिल होते हैं।
उन्होंने बताया कि आर्थोपायलेट एक नेवीगेशन प्रणाली है जो सर्जन को सही चीरा लगाने के लिए निर्देशित करती है और किसी भी मानवीय चूक की आशंका को पूरी तरह से समाप्त कर देती है। कृत्रिम प्रत्यारोपण के दौरान इससे शत प्रतिशत परिणाम हासिल होता है। उन्होंने बताया कि कम्प्यूटर की सहायता से संयुक्त प्रत्यारोपण प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल से जोड़ों की सर्जरी में एक क्रांतिकारी बदलाव आया है।