खनिज भंडार से भरपूर झारखंड को आने वाले साल में नई औद्योगिक नीति मिलने की उम्मीद है।
नई औद्योगिक नीति के आने से नए साल में राज्य के औद्योगिक विकास में तेजी आने की उम्मीद है। इससे राज्य के छोटे उद्यमियों को भी मदद मिलेगी। वैश्विक मंदी के कारण टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों ने उत्पादन में कटौती की है।
इस कारण स्थानीय सहायक उद्योगों पर बुरा असर पड़ा है ओर बड़ी संख्या में छोटी ऑटो और इंजीनियरिंग इकाइयां बंदी की कगार पर पहुंच गई हैं। राज्य में खनन, कृषि, ऑटो और इंजीनियरिंग उत्पादों का निर्माण करने वाली लगभग 1.63 लाख इकाइयां कार्यरत हैं।
राज्य में जिंदल , मित्तल, टाटा और भूषण स्टील जैसी वैश्विक कंपनियां हैं। लेकिन वैश्विक मंदी और सही औद्योगिक नीति के अभाव में राज्य के विकास पर दीमक लगता नजर आ रहा है। सही नीतियों के न होने से बहुराष्ट्रीय कंपनियों के प्रस्तावित निवेश में खटाई पड़ सकती है।
राज्य सरकार ने निजी कंपनियों के साथ करीब 45 लाख करोड़ रुपये के सहमति पत्र पर दस्तखत किए हैं। लेकिन आर्थिक मंदी के कारण अगले साल इसमें से कई परियोजनाएं रुकी रहेंगी।
औद्योगिक विशेषज्ञों के अनुसार इस राज्य के विकास में प्रमुख रोड़े राज्य में फैली नक्सल समस्या, आदिवासी क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण का विरोध और स्थायी सरकार का न होना हैं।
ऐसे में नए साल में बुनियादी विकास की नई योजनाओं की शुरुआत, सिंगल विंडो सिस्टम और क्राफ्ट बाजार, फूड पार्क जैसे हस्तशिल्प से जुड़े उद्योगों को मजबूत करने जैसी मांगे पूरी हो सकती हैं। साथ ही नक्सल समस्या को सीमित करना और जमीन अधिग्रहण को सुगम बनाना भी राज्य सरकार के एजेंडे में शमिल है।
गौरतलब है कि औद्योगिक विकास के लिए राज्य में बिजली उत्पादन को बढ़ाना भी राज्य सरकार के सामने एक प्रमुख लक्ष्य है। तिलैय्या मेगा बिजली परियोजना की स्थापना के बाद उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में बिजली मिल सकेगी।
झारखंड 2009
खनिज भंडार से भरपूर झारखंड को आने वाले साल में नई औद्योगिक नीति मिलने की उम्मीद है।
वैश्विक मंदी के कारण टाटा मोटर्स जैसी कंपनियों ने उत्पादन में कटौती की है। इस कारण स्थानीय सहायक उद्योगों पर बुरा असर पड़ा है।
बड़ी संख्या में छोटी ऑटो और इंजीनियरिंग इकाइयां बंदी के कगार पर पहुंची।
बहुराष्ट्रीय कंपनियों ने अपनी विस्तार योजना टाली।
राज्य के विकास में प्रमुख रोड़े नक्सल समस्या, आदिवासी क्षेत्रों में जमीन अधिग्रहण का विरोध और स्थायी सरकार का न होना है।
नए साल में बढ़ेगा बिजली उत्पादन