सेहत दुरुस्त रखने के लिए महज 4 रुपये

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 05, 2022 | 5:22 PM IST

बिहार में महिलाओं के स्वास्थ्य, शिक्षा सहित संपूर्ण विकास के लिए कटिबध्द राज्य सरकार द्वारा अलग से प्रस्तुत ‘जेंडर बजट’ के तहत प्रत्येक महिला के स्वास्थ्य पर औसत चार रुपये प्रतिमाह के आवंटन पर महिलाओं ने गहरा अफसोस जाहिर करते हुए इस राशि को ‘ऊंट के मुंह में जीरा’ बताया है।


बिहार सरकार ने राज्य के लिए विधान मंडल के चालू सत्र के दौरान ही अगले वर्ष हेतु कुल 38,574.12 करोड़ रुपये बजट पेश किया जबकि महिलाओं के लिए अलग से एक ‘जेंडर बजट’ पेश करते हुए कुल राशि का 5.83 प्रतिशत का प्रावधान उनके लिए किया।


इस जेंडर बजट में महिलाओं के लिए जब स्वास्थ्य विभाग के आवंटन का विश्लेषण किया गया तो चौंकाने वाली बात यह रही कि इस विभाग के लिए कुल 1631.60 करोड़ रुपये के प्रावधान में से राज्य की 3.97 करोड़ महिलाओं के लिए मात्र 173.11 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जो एक महिला पर औसतन प्रति माह बमुश्किल चार रुपए होता है।


गैर योजना मद में यदि इसका विश्लेषण किया जाए तो और अधिक आश्चर्यजनक बात यह है कि 1274.89 करोड़ रुपये तुलना में महिलाओं के लिए मात्र 6.25 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया जो एक महिला के लिए औसतन मात्र 1.5 प्रतिवर्ष आता है।


बिहार में नीतीश सरकार ने महिलाओं के सशक्तिकरण की दिशा में सत्ता में आते ही ऐतिहासिक कदम उठाते हुए त्रिस्तरीय पंचायतों में महिलाओं को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया था जिसके चलते सवा लाख से भी अधिक महिलाएं विभिन्न पदों पर बिराजमान हो गई थी और उनमें अपार खुशी थी।


बिहार सरकार द्वारा राज्य में शिक्षा, पंचायतीराज विभाग सहित प्रमुख रुप से दस विभागों में महिलाओं के लिए अलग से राशि का प्रावधान करने का कई निर्वाचित महिला प्रतिनिधियों ने जहां स्वागत किया है वहीं प्रावधानित राशि को ऊंट के मुंह में जीरा बताया है तथा इसमें बढ़ोतरी की मांग की है। कुल बजट में से अलग से हालांकि महिलाओं के लिए 2247.81 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।


राज्य सरकार ने 10 विभागों में महिलाओं के लिए प्रस्तावित राशि में से प्रथम श्रेणी में सौ प्रतिशत राशि के प्रावधान के तहत 896 करोड़ रुपये और द्वितीय श्रेणी में 30 प्रतिशत राशि के प्रावधान के तहत 1351 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है।


महिलाओं की शिकायत है कि पंचायतीराज विभाग में प्रथम श्रेणी के तहत एक पैसे का भी आवंटन नहीं किया गया है जबकि सबसे अधिक जरुरत इसी विभाग को है क्योंकि राज्य की हर पंचायत विकास के लिए रीढ मानी जाती है और महिलाओं की संख्या भी सबसे अधिक यहीं पर है।


इस बारे में मुजफ्फरपुर जिले की रामनाथ धमौली पंचायत की उपमुखिया लक्ष्मी देवी ने कहा कि बजट का 50 प्रतिशत हिस्सा महिलाओं के लिए आवंटित किया जाना चाहिए। बिहार सरकार ने समाज कल्याण विभाग में 714.65 करोड़ रुपये, अनुसूचित जाति जनजाति विभाग के लिए 56 करोड़ रुपये, शिक्षा विभाग के लिए 612.56 करोड़ रुपये का आवंटन महिलाओं के लिए किया है।

First Published : March 30, 2008 | 10:43 PM IST