उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के बाद जमीन खरीदने के लिए आपको अपनी जेब ज्यादा ढीली करनी पड़ सकती है।
खबर है कि नये वित्त वर्ष में जमीन की दरों की समीक्षा के लिए उत्तर प्रदेश आवास विकास परिषद बैठक की फिराक में था, जिसे आचार संहिता लागू हो जाने के चलते टाल दिया गया है। अब यह बैठक लोकसभा चुनाव के बाद ही होगी।
परिषद के एक उच्च पदस्थ अधिकारी ने बिजनेंस स्टैंडर्ड को नाम न छापने की शर्त पर बताते है कि ‘आगामी बैठक में बोर्ड प्रशासन जमीन की दरों में लगभग 20 फीसदी तक की बढ़ोतरी का विचार कर रहा है। हाल ही में कानपुर, लखनऊ, औरैया, फतेहगढ़, जालौन, मुरादाबाद, बुलंदशहर और गाजियाबाद में परिषद की आगामी योजनाओं को मिल रही सफलता से इसकी संभावना और भी बढ़ गई है।’
इस बाबत परिषद के उपाध्यक्ष अच्छे लाल निषाद ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘परिषद की जमीन की दरों की समीक्षा के लिए हमारी एक बैठक करने की योजना थी जिसे आचार संहिता लागू होने के चलते अभी टाल दिया गया है। रही बात जमीन की कीमतों में बढ़ोतरी की तो इसे बैठक के बाद ही बताया जा सकेगा।’
विभागीय सूत्रों का यह भी कहना है कि परिषद की 50 से 100 रिहायशी प्लॉटों वाली योजनाओं के लिए भी आवेदन की संख्या 60 से 70 हजार के ऊपर पहुंच जाती है। ऐसे में जमीन की कीमतों में बढ़ोतरी का मौका राज्य की बसपा सरकार गंवाना नहीं चाहती है। कीमतों में बढ़ोतरी को लेकर राज्य की सत्ताधारी पार्टी के कई पदाधिकारी भी इस बैठक में खास दिलचस्पी ले रहे हैं।
गौरतलब है कि पिछले दो सालों में उत्तर प्रदेश के प्रमुख शहरों में जमीन की कीमतों में 30 से 35 फीसदी का उछाल आया है। ऐसे में कीमतों में अगर बढ़ोतरी होती है तो आम आदमी के लिए मकान खरीदना और भी मुश्किल हो जाएगा।
इस समय लखनऊ में परि की चालू योजनाओं में जमीन की कीमत जहां 5 हजार रुपये से लेकर 12 हजार रुपये प्रतिवर्ग मीटर है। वहीं गाजियाबाद की वसुंधरा योजनाओं में यह 15 हजार रुपये से लेकर 17 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर बैठ रही है।