हरियाणा की राजस्व प्राप्तियों पर वैश्विक वित्तीय मंदी के असर को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने अपार्टमेंट्स की बिक्री के लिए एक नया कानून लाने का निर्णय लिया है।
बिजनेस स्टैंडर्ड को दिए गए साक्षात्कार में वित्त मंत्री वीरेंद्र सिंह ने बताया कि इस नए कानून के जरिए राज्य सरकार को सालाना 300 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है। उन्होंने बताया कि इस सिलसिले में प्रस्ताव पेश किया जा चुका है और कैबिनेट की अगली बैठक में इसे मंजूरी मिलने की उम्मीद है।
फिलहाल खरीदार पावर ऑफ अटॉर्नी के जरिए फ्लैट खरीदते हैं और इससे राज्य को राजस्व प्राप्त नहीं होता है। एक बार यह कानून तैयार हो जाता है तो रिहायशी इलाके में किसी जमीन का मालिक भूतल और दो अन्य फ्लोर को बना भी सकता है और चाहे तो उन्हें बेच भी सकता है।
सिंह ने बताया कि राज्य सरकार अतिरिक्त कर वसूलने के लिए उन विज्ञापन दाताओं से भी सेवा कर वसूलने का मन बना रही है जो इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के जरिए प्रचार करते हैं।
जैसा कि पहले भी बताया जा चुका है कि इस साल अक्टूबर से ही राज्य को वित्तीय मोर्चों पर मुश्किलें देखने को मिल रही है और राज्य के मूल्य वर्द्धित करों के संग्रह पर भी इसका असर देखा जा सकता है।
ऐसा अंदेशा है कि आने वाले दिनों में कर के परंपरागत स्त्रोतों से भी हरियाणा सरकार को कर की वसूली कुछ कम हो सकती है। इसे ध्यान में रखते हुए ही सरकार पहले से कुछ दूसरे उपाय ढूंढ़ रही है ताकि कर संग्रह को संतुलित रखा जा सके।
इस सिलसिले में रिसोर्स मोबिलेशन कमिटी मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हूडा की अध्यक्षता में 8 दिसंबर को मिलने वाली थी हालांकि पड़ोसी राज्यों में चुनाव को देखते हुए इसे टाल दिया गया है। अगली तारीख की घोषणा अभी नहीं की गई है।
वित्त मंत्री ने वैश्विक वित्तीय अनिश्चितता का हरियाणा में सार्वजनिक-निजी साझेदारी में बनने वाली इन्फ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं पर असर का जिक्र किया पर कहा कि अब तक किसी साझेदार की ओर से इस विषय में कोई संकेत नहीं मिला है।
उन्होंने कहा कि परियोजनाओं की रफ्तार कुछ कम हो सकती है पर अभी तक किसी ने परियोजना से हाथ वापस नहीं खींचा है। उन्होंने कहा कि राज्य में 17,000 करोड़ रुपये की परियोजनाएं पाइपलाइन में हैं और इनमें से अधिकांश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश है।