बिहार सरकार द्वारा अदालत की फीस में की गई वृध्दि के विरोध में पटना उच्च न्यायालय के करीब 8,000 वकील आज से तीन दिन की हडताल पर चले गए।
वकील संघ के संयोजक योगेश चंद्र वर्मा ने यहां बताया कि गत 28 मार्च को वकीलों के तीन संघों की संयुक्त बैठक में इस आशय के निर्णय के आलोक में आज से हड़ताल शुरु की गई है।
वर्मा ने बताया कि उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने गत 17 मार्च को बिहार अदालती फीस संशोधन अधिनियम वर्ष 2007 को वापस लेने का आश्वासन दिया था लेकिन इस पर अबतक अमल नहीं होने पर अधिवक्ता हड़ताल पर जाने को विवश हुए। उल्लेखनीय है कि इससे पूर्व भी करीब एक महीने पहले इस मुददे को लेकर पटना उच्च न्यायालय के अधिवक्ता दो दिन 28 और 29 फरवरी को हड़ताल पर रहे थे।
राज्य के दानापुर, पटना सिटी, पटना जिला समाहरणालय, किशनगंज, पूर्णिया, बाढ़ और मसौढ़ी के अधिवक्ता इस मुददे को लेकर पहले ही अनिश्चितकालीन हडताल पर हैं। पटना सिविल कोर्ट के करीब 3,000 वकील इस मुददे को लेकर गत 14 मार्च से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं।
बिहार राज्य बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष तथा पटना उच्च न्यायालय अधिवक्ता संघ के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह ने इस वृध्दि को काला कानून की संज्ञा देते हुए कहा कि राज्य सरकार अगर इस मुददे पर शीघ्र निर्णय नहीं लेती तो आगे की रणनीति तय करने के लिए अधिवक्ता संघ आगामी दो अप्रैल को बैठक करेगा।
पटना उच्च न्यायालय बार एसोसिएशन के अध्यक्ष राणा प्रताप सिंह ने अदालती फीस में वृध्दि को गरीबों के विरुध्द असंगत और अधिक बताते हुए कहा कि स्टांप डयूटी पर शुल्क बढ़ जाने से गरीब न्याय पाने के अधिकार से वंचित होंगे। राज्य सरकार द्वारा जारी एक राजपत्रित सूचना में गत 19 फरवरी को पटना उच्च न्यायालय रजिस्ट्री कार्यालय को अदालती फीस में की गई इस बढोत्तरी के बारे में सूचित किया गया था।