आज हम ऐसे उद्योग की बात करने जा रहे हैं जो हमें हमारी संपत्तियों की सुरक्षा का भरोसा दिलाता है।
भारत में ताला उद्योग काफी पुराना है लेकिन आज हम ताले के जिस रूप को देखते हैं उसकी बुनियाद 1832 में अलीगढ़ में पड़ी थी। तब से लेकर आज तक ताला उद्योग ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं, लेकिन आज उद्योग की बदहाली चरम पर है।
अलीगढ़ स्थित अल्बा लॉक इंडिया लिमिटेड के संचालक मो. शकीर ने बताया कि ‘हमने अपने जीवन में इतना बुरा समय कभी नहीं देखा है।’ उन्होंने बताया कि कच्चे माल की कीमतों में बढ़ोतरी का असर ताला उद्योग पर देर से पड़ता है और अगर तब तक कच्चे माल की कीमतों में गिरावट आ गई तो खरीदार माल उठाने से मना कर देते हैं।
अलीगढ़ में ताला बनाने की करीब 3,000 छोटी-बड़ी इकाइयां हैं। प्रत्येक इकाई में में 20 से लेकर 300 तक कारीगर काम करते हैं। लेकिन अब बड़ी संख्या में छोटे कारोबारी अपनी फैक्टरियों को बंद कर रहे हैं। सरकार से किसी खास मांग के बारे में पूछने पर शकील कहते हैं कि, ‘ताला उद्योग पर वैट को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहिए। सरकार को नई मशीन खरीदने और प्रशिक्षण देने के लिए मदद करनी चाहिए।’ उत्तर प्रदेश में इस समय ताला उद्योग पर दो प्रतिशत की दर से वैट लागू है।
क्या कर रही है सरकार
सूक्ष्म, छोटे और मझोले उद्यम मंत्रालय ने ताला उद्योग के लिए एक राष्ट्रीय कार्यक्रम की शुरुआत की है। मंत्रालय में विकास आयुक्त जवाहर सरकार ने बताया कि इस योजना को सिडबी, राष्ट्रीय लघु उद्यम निगम और अखिल भारतीय ताला विनिर्माता संघ, अलीगढ़ के साथ मिलकर शुरू किया गया है। कार्यक्रम का कुल बजट 55 लाख रुपये है।
योजना का मकसद ताला उद्योग की प्रौद्योगिकी को उन्नत बनाना, साझा सुविधा केन्द्र की स्थापना करना और मार्केटिंग नेटवर्क तैयार करना है। इसके लिए गोदरेज जैसे बड़े विनिर्माताओं की मदद भी ली जाएगी।
चुनौतियां और भी हैं
उदारीकरण के दौर में ताला उद्योग के लिए चुनौतियां तेजी से बढ़ी हैं। बीते कुछ वर्षो के दौरान भारतीय बाजार में चीन के बने तालों की हिस्सेदारी बढ़ रही है। अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में लेक्चरर और ताला उद्योग पर शोध कर चुके आसिफ अख्तर ने बताया कि पहले अलीगढ़ से नेपाल को बड़ी तादाद में तालों का निर्यात किया जाता है लेकिन अब यह बाजार पूरी तरह से चीन के कब्जे में आ चुका है।
अख्तर ने बताया कि देशी कंपनियों को प्रौद्योगिकी उन्नयन, मार्केटिंग नेटवर्क को मजबूत बनाने और आक्रामक विज्ञापन अभियान पर जोर देना होगा। देश की करीब 80 प्रतिशत ताला इकाइयां अलीगढ़ में हैं। अलीगढ़ के अलावा मुंबई, जालंधर और लुधियाना में भी ताला बनाया जाता है।
ताला लगाया है क्या?
दरवाजे पर ताला लगाने के तुरंत बाद हममें से ज्यादातर लोगों को शक होता है कि ताला ठीक से लगा है या नहीं। मनोविज्ञान की भाषा में इस आदत को ऑब्सेसिव कम्प्लसिव कहा जाता है। अगर आपके साथ ऐसा है तो यह इस बात का संकेत है कि आपको अपनी जीवन शैली दुरुस्त करने की जरुरत है।