सार्वजनिक क्षेत्र के पंजाब एंड सिंध बैंक ने मध्य प्रदेश सरकार और राज्य के बिजली निकाय के खिलाफ बकाया भुगतान नहीं करने के मामले में अदालत में मामला दायर किया है।
हालांकि राज्य सरकार बॉन्ड बाजार से 750 करोड़ रुपये का कर्ज लेने की योजना बना रही है। मध्य प्रदेश राज्य बिजली बोर्ड (एमपीएसईबी) पर मूलधन और ब्याज के तौर पर कुल 65 करोड़ रुपये बकाया हैं। राज्य सरकार ने इस कर्ज के लिए गारंटी ली थी।
पंजाब एंड सिंध बैंक के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक आर पी सिंह ने बताया कि ‘राज्य सरकार को गारंटी का सम्मान करना चाहिए था। यदि सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) बॉन्ड को चुकाया नहीं गया ।
तो बैंक के लिए राज्य सरकार की प्रतिभूतियों को खरीदना मुश्किल होगा।’ इस बारे में एमपीएसईबी के अध्यक्ष आर सी साहनी और सचिव पी के वैश्य की टिप्पणी नहीं मिल सकी।
ऋण पत्रों को राज्य सरकार की गारंटी हासिल होती है और बैंकिंग नियामक एसएलआर अनिवार्यताओं को पूरा करने के लिए इनकी अनुमति देता है। पंजाब एंड सिंघ बैंक और कुछ और बैंकों ने एमपीएसईबी द्वारा जारी बॉन्ड खरीदे थे। इस पत्र 2004 से परिपक्व होने लगे।
पीएसबी ने 27.5 करोड़ रुपये एसएलआर बॉन्ड और 5 करोड़ रुपये गैर-एसएलआर बांड में निवेश किए थे। बैंक अब ब्याज सहित 65 करोड़ रुपये की मांग कर रहा है। इसके बार राज्य विभाजन और छत्तीसगढ़ का गठन हुआ।
यह तय हुआ कि एमपीएसईबी की देनदारियों को दोनों राज्यों के बिजली बोर्ड 80 और 20 के अनुपात में बांटेंगे और बड़ी देनदारी एमपीएसईबी को मिली। बैंक ने बताया कि लेकिन एमपीएसईबी ने न तो मूलधन का भुगतान किया और न ही ब्याज का।
इसके बाद जुलाई 2008 में एमपीएसईबी ने कुल बकाये का 73 प्रतिशत पर निपटान की पेशकश की। बैंक अधिकारियों के मुताबिक जब बैंक अंतिम निपटारे के लिए गया तो एमपीएसईबी अपनी बात से मुकर गया। इसके बार बैंक ने दिल्ली स्थित ऋण वसूली न्यायाधिकरण में राज्य सरकार और एमपीएसईबी के खिलाफ वसूली याचिका दाखिल की।
मामले की अगली सुनवाई फरवरी 2009 में होगी। सिंह ने बताया कि ‘राज्य सरकार और बिजली बोर्ड को कुल बकाए के 73.38 प्रतिशत भुगतान करने के अपने वादे पर तो कायम रहना चाहिए था।’