महाराष्ट्र में कोरोनावायरस का संक्रमण कम होने के साथ ही राज्य सरकार स्कूल खोलने की तैयारी में लग गई है। राज्य में मध्य जुलाई से 8वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों की पढ़ाई के लिए स्कूल खोल दिए जाएंगे। फिलहाल केवल ग्रामीण इलाकों में स्कूल खोलने की अनुमति होगी। शहरी इलाके में स्कूल और दूसरे कारोबार खोलने के लिए सरकार टीकाकरण की रफ्तार और तेज करेगी जिसके लिए महाराष्ट्र विधानसभा में प्रस्ताव पारित कर केंद्र से हर महीने तीन करोड़ टीकों की मांग की गई है।
प्रदेश की शिक्षा मंत्री वर्षा गायकवाड ने स्कूल खोलने को लेकर बड़ा बयान देते हुए कहा कि मध्य जुलाई यानी 15 जुलाई से महाराष्ट्र में स्कूल खुलेंगे। उन्होंने कहा, ‘अब तीसरी लहर में सबसे ज्यादा बच्चों के प्रभावित होने की बात कही जा रही है। कोरोना के डेल्टा प्लस वायरस को ध्यान में रखकर हम सब काम कर रहे हैं। जहां एक महीने से संक्रमण का कोई मामला नहीं आया होगा और जो गांव यह जिम्मेदारी लेंगे कि कोरोनावायरस से संघर्ष करने में वे साथ हैं उन्हीं जगहों पर स्कूल खोले जाएंगे।’ उन्होंने कहा कि जिन गांव में स्कूल खोले जाएंगे वहां के बच्चों के अभिभावकों से भी सहमति ली जाएगी और इसके लिए दिशानिर्देश तैयार किये जा रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा, ‘राज्य रोजाना 10 लाख लोगों को टीका लगा सकता है बशर्ते टीके की खुराकें उपलब्ध हो। इस आकलन के मुताबिक हम अगले दो महीने में तीन करोड़ लोगों को टीका लगा सकते हैं। अर्थव्यवस्था के सुचारू रूप से चलने के लिए भी टीकाकरण अभियान में तेजी लाना जरूरी है।’
मंत्री ने कहा कि केंद्र ने टीके की अब तक 2,84,39,060 खुराक दी हैं और राज्य सरकार ने 25,10,730 खुराक खरीदी हैं। उन्होंने कहा कि राज्य में अब तक 3,43,82,583 टीके लगाए जा चुके हैं। टोपे ने कहा कि महाराष्ट्र, कोविड-19 संक्रमण से होने वाली मौत और सक्रिय मामलों की तादाद के लिहाज से राज्यों की सूची में सबसे ऊपर है।
मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में लगें टीके
उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को केंद्र को निर्देश दिया कि मानसिक स्वास्थ्य केंद्रों में रह रहे लोगों की कोविड-19 संबंधी जांच की जाए और उनका जल्द से जल्द पूर्ण टीकाकरण हो। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह के एक पीठ ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा मानसिक स्वास्थ्य संस्थानों से लोगों को भिक्षुक गृह भेजे जाने के मामले का गंभीरता से संज्ञान लिया और तुरंत इसे रोकने का निर्देश दिया। पीठ ने कहा कि यह नुकसानदेह है और मानसिक स्वास्थ्य अधिनियम के प्रावधानों के विरुद्ध है। भाषा