माया ने बांटा आलू किसानों का दर्द

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 09, 2022 | 11:17 PM IST

आलू किसानों को बर्बादी से बचाने के पिछले सारे उपायों को नाकाफी देख कर उत्तर प्रदेश सरकार ने नयी योजना बनायी है। राज्य सरकार ने शीतगृहों में पड़े पुराने आलू और उसी के साथ नए आलू को अब पड़ोसी राज्यों को भेजने की ठानी है।


साथ ही सरकार ने आलू की गिरती कीमतों को रोकने के लिए बाजार हस्तक्षेप योजना के तहत आलू की सरकारी खरीद के दाम को और बढ़ाने का फैसला किया है। योजना के तहत राज्य सरकार ने आलू का क्रय मूल्य 250 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये करने का फैसला किया है।

यह योजना भारत सरकार से नुकसान की प्रतिपूर्ति पर सहमति मिलने के तुरंत बाद लागू हो जाएगी। इस आशय का फैसला बुधवार को राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। क्रय कीमतों में की गयी बढ़ोतरी से 31.50 करोड़ रुपये का अतिरिक्त व्यय भार आएगा।

सरकार ने किसानों को भाड़े में अनुदान देने की घोषणा भी की है। साथ ही प्रदेश में ही बेचे जाने वाले आलू पर भाड़े के अनुदान के लिए पहले तय किए गए न्यूनतम दूरी के मानक को भी घटा दिया गया है।

किसानों को पहले प्रदेश के अंदर 500 किलोमीटर की दूरी तक आलू बेचने पर अनुदान के रुप में परिवहन भाड़े का 25 फीसदी या 25 रुपए प्रति क्विंटल जो भी कम हो दिया जाता था। इस दूरी के प्रतिबंध को अब घटाकर 300 किलोमीटर कर दिया गया है।

राज्य के उद्यान विभाग के अधिकारियों के मुताबिक आलू की लगातार तीन सालों से अच्छी पैदावार के चलते इसकी कीमतों में भारी गिरावट आई है। अब तक के अनुमानों के मुताबिक इस साल आलू की पैदावार 135 से 143 लाख टन के आसपास रहेगी जो कि बीते साल से भी ज्यादा है।

थोक बाजार में आलू की कीमत प्रति किलो 1 रुपये तक आ गिरी है जबकि खुदरा बाजार में इसकी कीमत 2-3 रुपए प्रति किलो चल रही है। अधिकारियों के मुताबिक उत्तर प्रदेश के पड़ोसी राज्यों बिहार, राजस्थान और मध्य प्रदेश में अभी भी आलू की कीमत 4 रुपए के करीब चल रही है।

अब सरकार इन राज्यों में आलू भेजने की जुगत लगा रही है। इस मामलों में उसकी पहली प्राथमिकता शीतगृहों में पड़े पुराने आलू को खपाना होगा। राज्य सरकार ने पड़ोसी राज्यों को आलू भेजने वाले किसानों और आढ़तियों को परिवहन भाड़े के अनुदान के रुप में 25 फीसदी देने का फैसला किया है।

मंत्रिमंडल ने मंडी परिषद की सिफारिशों को मानते हुए आलू के निर्यात पर 1.50 रुपये प्रति किलो या वास्तविक परिवहन भाड़े की 25 फीसदी राशि जो भी कम हो, अनुदान के रुप में देने का फैसला किया है।

यह अनुदान बाहरी देशों को निर्यात करने पर ही मिलेगा। मंडी परिषद के ताज ब्रांड के तहत आलू निर्यात पर 50 पैसे प्रति किलो ब्रांड प्रमोशन अनुदान दिया जाएगा।

मंत्रिमंडल के एक अन्य फैसले के तहत अब प्रामाणिक बीजों के उत्पादन एवं वितरण के लिए निजी क्षेत्र को भी अनुदान दिया जाएगा। इस पर लगभग 59.38 करोड़ रुपये का व्यय भार अनुमानित है।

First Published : January 28, 2009 | 8:39 PM IST