मवेशी में बीमारी के कारण गुजरात में दूध उत्पादन 50,000 लीटर प्रतिदिन घटा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:06 PM IST

गुजरात में मवेशियों के चमड़े में फैलने वाले संक्रामक रोग (लम्पी स्किन डिजीज, या एलएसडी) के कारण प्रतिदिन 50,000 लीटर दूध उत्पादन में कमी आई है। हालांकि गुजरात में कुल 2 करोड़ लीटर की दूध खरीदारी का यह महज 0.25 फीसदी है। राज्य में अधिकारी रोग से बचाने के लिए मवेशियों के टीकाकरण पर जोर दे रहे हैं।

गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (अमुल) के प्रबंध निदेशक आर एस सोढ़ी ने कहा दूध उत्पादन में प्रतिदिन 50,000 लीटर की कमी आई है लेकिन अभी भी 2 करोड़ लीटर से अधिक की खरीदारी हो रही है। अभी प्रमुख दूध उत्पादक जिलों में मवेशियों के टीकाकरण पर जोर दिया जा रहा है ताकि बीमारी के प्रकोप को नियंत्रण में लाया जा सके।

कैप्री पॉक्स वायरस के कारण होने वाला यह वायरल संक्रमण बकरी में होने वाले चेचक की तरह है। जिसमें जानवरों को तेज बुखार, चमड़ो पर चकत्ते और मुंह से लार आने लगते हैं। इससे मवेशियों के दूध उत्पादन की क्षमता कम हो जाती है। इसमें मृत्यु दर काफी अधिक है। गुजरात सरकार के पशुपालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि टीकाकरण अभियान के माध्यम से इसे नियंत्रण में लाने का प्रयास किया जा रहा है। पिछले 3-4 महीनों में गुजरात में 1,500 से अधिक मवेशियों की मौत हुई है। हालांकि राज्य सरकार का टीकाकरण अभियान कुल 33 में से 20 प्रभावित जिलों में पूरे जोरों पर है।

सरकारी आंकड़ों के अनुसार अभी तक दस लाख से अधिक स्वस्थ जानवरों का टीकाकरण हो चुका है। सौराष्ट्र क्षेत्र, बनासकांठा और कच्छ जैसे प्रमुख दुग्ध उत्पादक जिलों में टीकाकरण अभियान सबसे तेजी से चल रहा है।

अहमदाबाद-स्थित पशुओं की दवा बनाने वाली प्रमुख कंपनी हेस्टर बायोसाइंसेज ने हाल ही में इस बीमारी से बचने के लिए बकरी में होने वाले चेचक के लिए बनाई गई वैक्सीन की आपूर्ति के लिए सरकार से समझौता किया है। हेस्टर बायोसाइंसेज के संस्थापक, मुख्य कार्यकारी अधिकारी और प्रबंध निदेशक राजीव गांधी के अनुसार कंपनी ने अब तक बकरी के चेचक वाले टीके की 50,000 शीशियों की आपूर्ति की है। इसमें से 80 फीसदी अमुल को आपूर्ति की गई है जबकि बाकि निजी डेयरी को। प्रत्येक शीशी से 33 मवेशियों को वैक्सीन दी जा सकती है जिनमें से प्रत्येक को 3 मिली खुराक की आवश्यकता होती है। प्रत्येक शीशी का मूल्य 600 रुपये है, जिससे प्रति मवेशी लगभग 20 रुपये खर्च होता है।

गांधी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस महीने टीके की 150,000 शीशियों की आपूर्ति की जाएगी और यह गुजरात के साथ अन्य राज्यों में भी की जाएगी। “जैसे ही मांग बढ़ेगी हम टीकों के उत्पादन को और बढ़ाएंगे।”

मंगलवार को गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी कच्छ का दौरा किया जो इस बीमारी से सबसे ज्यादा प्रभावित जिला है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गुजरात में अब तक दर्ज किए गए कुल 54,000 मामलों में से अकेले कच्छ जिले में लगभग 40,000 मामले हैं। गुजरात सरकार ने इससे निपटने के लिए अब तक लगभग 192 पशु चिकित्सा अधिकारी, 568 पशु पर्यवेक्षक तथा 298 अतिरिक्त पशु चिकित्सा अधिकारियों को उपचार और टीकाकरण हेतु गांवों में मोबाइल पशु अस्पतालों के तहत तैनात किया है।

First Published : August 3, 2022 | 3:27 PM IST