लोकल ट्रेन में सफर लिए मनसे का सविनय अवज्ञा आंदोलन

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:33 AM IST

महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) के नेताओं ने पाबंदियों को तोड़ते हुए बिना अनुमति और बिना टिकट के लोकल ट्रेन में सफर किया। मुंबई और उपनगरों में लोकल ट्रेन सेवा आम लोगों के लिए भी बहाल किए जाने की मांग को लेकर मनसे नेताओं ने सविनय कायदेभंग (सविनय अवज्ञा) शुरू किया है। आम मुंबईकर भी मनसे के इस आंदोलन का समर्थन कर रहे हैं।  
कोविड-19 महामारी के कारण उपनगरीय ट्रेनों में फिलहाल आम लोगों को सफर की इजाजत नहीं है। जो लोकल ट्रेन चल रही हैं, उनमें सिर्फ जरूरी सेवाओं से जुड़े कर्मियों को ही यात्रा करने की अनुमति मिली हुई है। राज ठाकरे की पार्टी मनसे लगातार मांग करती रही है कि मुंबई और उपनगरों में लोकल ट्रेन सेवाएं आम लोगों के लिए भी बहाल की जाएं। मनसे के महासचिव संदीप देशपांडे ने एक वीडियो क्लिप जारी की जिसमें देशपांडे पार्टी के कुछ नेताओं के साथ लोकल ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं। देशपांडे ने कहा कि सरकार को लगता है कि कोरोना वायरस बसों में नहीं फैलता, लेकिन लोकल ट्रेनों में फैलता है, इसलिए हमने लोकल ट्रेनों में यात्रा करके विरोध किया।
मनसे नेताओं ने कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने कार्य स्थलों तक जाने के लिए आम लोगों को राज्य परिवहन की बसों में यात्रा करने की इजाजत दे दी है, लेकिन लोकल ट्रेनों में सफर करने की अनुमति नहीं दी है, जो हास्यास्पद है। हमने कई बार सरकार से आग्रह किया है कि आम लोगों को लोकल ट्रेनों में यात्रा करने की अनुमति दी जाए, क्योंकि राज्य परिवहन की बसों में सफर के दौरान उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है और अधिक समय भी लगता है।
संदीप देशपांडे ने राज्य सरकार को पहले ही चेतावनी दी थी। यदि सरकार आम जनता को लोकल ट्रेन में यात्रा की अनुमति नहीं देगी, तो मनसे इसके लिए आंदोलन करेगी और लोकल ट्रेन में यात्रा भी करेगी। इस आंदोलन के तहत संदीप देशपांडे ने अपने समर्थकों के साथ आज कानून हाथ में लेकर लोकल ट्रेन की यात्रा की और उसका वीडियो भी ट्विटर पर शेयर किया है। हाल में संदीप देशपांडे ने एसटी बस का वीडियो शेयर किया था जिसमें यात्रियों की काफी भीड़ दिखाई पड़ रही थी। तब मनसे नेता ने पूछा था कि क्‍या सिर्फ लोकल ट्रेन से ही कोरोना फैलता है? मनसे के आंदोलन को देखते हुए पुलिस प्रशासन मुस्तैद है।
इस आंदोलन को आम मुंबईकरों के साथ मुंबई के डब्बा वालों ने भी समर्थन किया है। उन्होंने मांग की है कि डब्बावालों को भी विशेष सेवा का दर्जा मिले ताकि वे भी लोकल ट्रेन के जरिये पड़े कारोबार को फिर से शुरू कर सकें। मुंबई में लोकल ट्रेन को शहर की लाइफ लाइन कहा जाता है और डब्बा वाले भी शहर की धड़कन की तरह काम करते हैं। मुंबई के डब्बा वालों की समस्या पर महाराष्ट्र सरकार ने अभी तक कोई ध्यान नहीं दिया है और न ही उन्हें किसी प्रकार का अनुदान ही मिला है। डब्बा वालों की काफी दिनों से यह मांग रही है कि उन्हें या तो मुंबई की लोकल ट्रेन में यात्रा करने की अनुमति दी जाए जिससे वे डब्बा पहुंचाने का काम शुरू कर सकें या फिर उन्हें प्रतिमाह 3,000 रुपये दिए जाएं ताकि उनके परिवार का गुज़ारा हो सके। सरकार से लगातार गुजारिश करने के बाद भी सरकार इनकी समस्या पर ध्यान नहीं दे रही है।
दरअसल, अनलॉक प्रक्रिया के साथ ही मुंबई महानगर में दफ्तर, दुकान, मॉल आदि खोल दिए गए हैं। लेकिन उपनगर में रहने वाले लोगों के लिए आने-जाने का एकमात्र साधन बस है, क्योंकि लोकल ट्रेनों में सिर्फ अति आवश्यक सेवा से जुड़े लोगों को ही आने-जाने की अनुमति है। उसके लिए सरकार की ओर से बकायदा क्यूआर कोड जारी किया गया है। सड़कों पर जाम की स्थिति के कारण लोग बस में चार-चार घंटे की कष्टदायी यात्रा कर रोजी-रोटी के लिए काम पर जा रहे हैं।

First Published : September 22, 2020 | 12:48 AM IST