मुंबई में यातायात जाम की समस्या से परेशान दैनिक यात्रियों को अब कुछ राहत मिलने की उम्मीद है क्योंकि महाराष्ट्र सरकार वर्ष 2010 तक यहां मोनोरेल की शुरुआत करने की योजना बना रही है।
देश में मोनोरेल की यह पहली परियोजना होगी। शहरी विकास राज्य मंत्री राजेश टोपे ने बताया वर्ष 2010 में शहर की घनी आबादी वाले क्षेत्र में बिना जाम के यात्रा करना संभव होगा।टोपे ने कहा कि परियोजना से लोग विस्थापित भी नहीं होंगेक्योंकि मोनोरेल को चलने के लिए मामूली जगह की जरूरत होती है। टोपे ने कहा कि यह उपनगरीय और मेट्रो प्रणाली के लिए एक फीडर सेवा की तरह होगी।
अलग अलग चार मार्गों पर चलने वाली इस मोनोरेल परियोजना की अनुमानित लागत करीब 1800 करोड़ रुपए आएगी। यह रेलगाड़ी मालाबार हिल, गोपालराव देशमुख मार्ग, हाजी अली, केशवराव खाडे मार्ग, जैकब सर्कल, साने गुरुजी मार्ग, एस एस राव मार्ग, दत्ताराम लाड मार्ग, जीडी अम्बेडकर मार्ग, वडाला ट्रक टर्मिनस, अंटाप हिल, सायन अस्पताल, धारावी, बांद्रा कुर्ला परिसर के बीच मोनोरेल 25 किलोमीटर का सफर तय करेगी।
उन्होंने बताया कि इसके अलावा 10 किलोमीटर लंबा दूसरा रूट चेंबूर, माहुल, गिडवानी मार्ग, गोवंडी, चेंबूर का होगा। लोखंडवाला काम्प्लेक्स, ओशिवारा, जोगेश्वरी, विक्रोली लिंक रोड और कांजुरमार्ग तक तीसरा रूट भी 10 किलोमीटर लंबा होगा। वरिष्ठ परिवहन योजनाकार के विजय लक्ष्मी ने बताया कि मुंबई के भीड़भाड़ वाले इलाकों के लिए मोनोरेल सबसे बेहतर है। इस इलेवेटेड ट्रैक पर चलाया जा सकता है और यह बहुत कम जगह लेती है।
मोनोरेल की क्षमता 500 से अधिक होती है और इसमें 4 से 6 कोच जोड़े जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण ने महालक्ष्मी- चेंबूर रूट को पायलेट प्रोजेक्ट के तौर पर लिया है और इसके लिए तीन बिल्डर्स की छंटनी की गई है।