मध्य प्रदेश के पहले एथेनॉल संयंत्र की मुश्किलें आसान होने का नाम नहीं ले रही हैं।
मुंबई स्थित डॉलेक्स इंडस्ट्रीज द्वारा लगाए जाने वाले इस संयंत्र के लिए जमीन अधिग्रहण की सुस्त रफ्तार के कारण परियोजना में देरी हो रही है। डॉलेक्स इंडस्ट्रीज ने झाबुआ जिले के कसारवाड़ी और नरसिंहपुर जिले के तेंदूखेड़ा में दो चीनी मिल लगाने की पेशकश की है। इनमें से प्रत्येक परियोजना के लिए 137 करोड़ रुपये का निवेश किया जाएगा। कंपनी इस संयंत्रों के जरिए एथेनॉल और बिजली जैसे द्वितीयक उत्पाद तैयार करेगी।
कंपनी ने इन परियोजनओं के लिए पिछले साल की 26 मई को राज्य सरकार के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए थे। कंपनी के एक सूत्र ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि जमीन अधिग्रहण की मंजूरी में धीमी प्रगति के कारण परियोजना में देरी हो रही है। उन्होंने दावा किया कि इन संयंत्रों के तैयार होने करीब 10,000 परिवारों को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर से रोजगार मिलेगा।
बीते साल 25 और 26 मई को आयोजित कृषि कारोबार सम्मेलन में राज्य सरकार ने करीब 26 कंपनियों के साथ राज्य में निवेश के लिए समझौते किए थे। हालांकि इनमें के कुछ को ही जमीन, पानी और पर्यावरण संबंधी मंजूरियां दी गई हैं। डॉलेक्स इंडस्ट्रीज ने प्रत्येक इकाई के लिए 200 एकड़ जमीन मांगी है। प्रत्येक मामले में राजस्व विभाग जमीन का हस्तांतरण उद्योग विभाग को करेगा। उद्योग विभाग ने अपनी इकाई मध्य प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम को कंपनियों को जमीन का आवंटन करने के लिए अधिकृत किया है। निगम जमीन का आवंटन ‘बिना शुल्क के आधार पर’ या ‘वाणिज्यिक शुल्क के आधार पर’ करती है।
सूत्रों ने आगे कहा कि ‘राजस्व विभाग ने अभी तक इसकी फाइल उद्योग विभाग को नहीं सौंपी है। यदि जमीन हमें उपलब्ध हो पाती है तो हम अगले एक साल में संयंत्र को चालू कर सकेंगे।’उन्होंने बताया कि संयंत्र की पेराई क्षमता 2,500 टन प्रति दिन होगी। संयंत्र नई प्रौद्योगिकी से लैस होगा और इसमें साल के 11 महीनों में काम चालू रहेगा।
बिजनेस स्टैंडर्ड से बात करते हुए राज्य के मुख्य सचिव राकेश साहनी ने कहा कि ‘निवेशकों को निवेशकों को अपने जमीन से जुडे मसलों के हल के लिए मध्य प्रदेश व्यापार और निवेश प्रोत्साहन निगम (एमपीटीआरआईएफएसी) के जरिए परियोनजा मंजूरी और क्रियान्वयन बोर्ड का पास आना चाहिए।’ हालांकि कंपनी पहले ही एमपीटीआरआईएफएसी के जरिए आवेदन कर चुकी है।