भय के साये में मुंबई के बाजार

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 15, 2022 | 1:08 PM IST

कोरोनावायरस का प्रकोप कामधंधे पर कहर बनकर टूटा। सबसे ज्यादा कोरोना की मार देश की आर्थिक राजधानी मुंबई को झेलनी पड़ रही है। कभी न रुकने वाली मुंबई के आर्थिक पहियों को दोबारा चालू करने के लिए बाजारों को एक बार फिर से खोल दिया गया। मुंबई का दिल कहे जाने वाले दादर में दुकानें तो खुल गईं, लेकिन लोकल रेल सेवा ठप होने के कारण दुकानों को सजाने वाले कर्मचारी और मजदूर गायब हैं। कारोबार में जान फूंकने वाले ग्राहक संक्रमण के डर से बाजार से दूरी बनाए हुए हैं। शहर में संक्रमण का बढ़ता कहर, बदलता मौसम, सरकार के दिशानिर्देशों में अनिश्चितता कारोबार में छाये अंधकार को और घना कर रही है। हालांकि विकट मुसीबतों के पहाड़ को कारोबारी एक चुनौती मान रहे हैं जिस पर विजय पाने के लिए एक दूसरे को सकारात्मक सोच का मंत्र दे रहे हैं।
लॉकडाउन के अनलॉक होते ही सरकार ने बाजारों को खोलने की इजाजत दी तो कारोबारियों ने राहत की सांस ली। दादर इलाके के लगभग सभी बाजार खुल गए। दादर की दुकानों में हजारों कर्मचारी और मजदूर काम करते हैं इन्हीं की मेहनत से देश के लगभग हर कोने में यहां से सामान जाता है। लोगों की जरूरत का शायद ही ऐसा कोई सामान हो जो दादर में न मिलता हो, इसीलिए दादर के सभी बाजारों में ग्राहकों की हमेशा भीड़ रहती है। लॉकडाउन के बाद बाजार में दुकानें सज गईं लेकिन खरीदारों के अभाव में सब सूना है। दादर रेडीमेड गारमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष संदीप दोषी कहते हैं कि मुंबई की लाइफ लाइन लोकल सेवा बंद है जिसके कारण शहर के दूसरे हिस्सों के ग्राहक नहीं आ पा रहे हैं। मुंबई के जो हालात हैं उसमें बाहरी लोग भी नहीं आ रहे हैं। जब तक यातायात सुचारु नहीं होगा तब तक ग्राहक आने वाले नहीं हैं। कोरोनावायरस के संक्रमण के डर से इस समय लोग बेहद जरूरी होने पर ही घरों से निकल रहे हैं। लोग सिर्फ खाने की वस्तुएं या बेहद जरूरत का ही सामान खरीद रहे हैं जिससे बाजार में सन्नाटा नजर आता है। दोषी कहते हैं कि इस समय कारोबार नहीं बल्कि बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए दुकानें खोली जा रही हैं।
एक्सेसरीज मार्केट के मितेश सावला कहते हैं कि यह फैशन इंडस्ट्री है, हर दिन ट्रेंड बदलता है, तीन महीने पहले जो सामान तैयार किया गया वह मौसम बदलने के साथ अनुपयोगी हो गया। दुकानदारों के पास स्टॉक जमा है ग्राहकी बाजार में दिखाई नहीं दे रही है, ऐसे में बाजार खुलने के बाद भी सब कुछ सूना-सूना है। सावला कहते हैं कि करोड़ों का माल फंस चुका है। यह कहानी सबकी है, लेकिन शुरुआत तो करनी होगी, एक दूसरे को संभालते हुए आगे बढऩा होगा क्योंकि यह मुसीबत फिलहाल खत्म होती दिख नहीं रही है। 

First Published : June 11, 2020 | 11:17 PM IST