कारीगरों के उत्थान में जुटा नाबार्ड

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 08, 2022 | 7:00 AM IST

राष्ट्रीय  कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) ग्रामीण कारीगरों और उद्यमियों की मदद के  लिए तेजी से कदम बढ़ा रहा है।


नाबार्ड अपने ग्रामीण अभिनव कोष के  तहत विभिन्न मेलों, सेमिनार और अन्य प्रयोजन के लिए कारीगरों, उद्यमियों और ग्रामीणों को सहायता राशि दे रहा है।

इस निधि का गठन आरपीसीएल (ग्रामीण पदोन्नति निधि) और सीएफएसएफ (क्रेडिट और वित्तीय सेवाएं निधि) के विलय से हुआ है।

बैंक द्वारा शुरुआत में 140 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया था। इस अनुदान के जरिए पिछले साल उत्तर प्रदेश में वास्तविक खर्च 140.25 लाख रुपये का हुआ था। जबकि इस साल 326.70 लाख रुपये का बजट रखा गया है।

नाबार्ड ने लखनऊ महोत्सव में 30 स्टॉलों का प्रायोजन किया है। इन स्टॉलों को ग्रामीण कारीगरों और उद्यमियों को आवंटित किया गया है।

नाबार्ड ने अपने प्रायोजित स्टॉलों पर हस्तशिल्प प्रदर्शनी का भी आयोजन किया है। इस मेले के दौरान नाबार्ड कारीगरों को भोजन और अन्य आवश्यक वस्तुएं भी प्रदान कर रहा है।

नाबार्ड उन कारीगरों के लिए प्रशिक्षण, सहयोग और कौशल सीखने के लिए ग्रामीण लोगों की सहायता भी कर रहा है ताकि उन्हें रोजगार मुहैया हो सके।

यह वास्तव में कुछ लोगों के समर्थन से किया जा रहा है जो स्वयं सहायता समूह के नाम से लोकप्रिय हैं।

नाबार्ड लखनऊ के सहायक महाप्रबंधक राकेश बहादुर ने बताया, ‘कारीगरों द्वारा बनाए गए उत्पादों की गुणवत्ता एक महत्त्वपूर्ण घटक है लेकिन उत्पादों की उचित पैकेजिंग और आमतौर पर विपणन के जबरदस्त अभाव की वजह से उन्हें ज्यादा कमाई नहीं हो पाती है।’

First Published : December 3, 2008 | 9:12 PM IST