नवाबों के शहर लखनऊ में आज भी नागरा जूतों की वहीं शान है जो वर्षों पहले हुआ करती थी।
भले ही शहर में ब्रांडेड जूतों की दुकानों की लड़ी लग गई हो लेकिन यहां की परंपरागत और गैर-ब्रांडेड जूतों की दुकानों में आने वाले ग्राहकों की संख्या में दिन-दोगुनी रात-चौगुनी बढ़ोतरी हो रही है।
शहर के एक दुकान मालिक जीशान अहमद ने बताया, ‘नागरा जूतों की मांग काफी बढ़ गई है। मौजूदा दौर के फैशन में यह बदलाव इसलिए भी देखने को मिल रहा है क्योंकि पिछले कुछ समय से टेलीविजन कलाकारों के पैरों पर नागरा जूते काफी दिखाई देने लगे हैं और यही वजह है कि इन जूतों को एक नया जीवन मिला है।’
अहमद पिछले 40 सालों से नागरे के जूतों के कारोबार से जुड़े हुए हैं। अहमद की दुकान भी नागरा जूतों का हब कहे जाने वाली जगह नजीराबाद में स्थित है। अहमद ने बताया, ‘इस क्षेत्र में ऐसी ही करीब 50 इकाइयां मौजूद हैं। उनमें से लगभग सभी के पास ऐसे ग्राहक हैं जो बार-बार उन दुकानों में जूते लेने आते हैं।’ बहरहाल, इन जूतों के लिए अमीनाबाद, केसरबाग और चौक भी काफी मशहूर जगह है। इसके अलावा, इन दुकानों की सख्या बढ़ाने के लिए कई नई दुकानें भी खुलने वाली हैं।
अहमद ने बताया, ‘हाल ही में बाजार में पाकिस्तान के नागरा जूते ने यहां दस्तक दी हैं। इन जूतों में सुनहरे रंग के धागे और जरी का इस्तेमाल किया गया है और इसकी बुनाई हाथ से की गई है। इन जूतों को लोग पार्टी व विवाह आदि में काफी पहनते हैं। इन जूतों की कीमतें 1200 रुपये से शुरू होकर 3000 रुपये तक है।’
अभी से दो साल पहले तक नागरा जूतों की अधिकतम कीमत 300 रुपये हुआ करती थी लेकिन अब पुरूषों व महिलाओं के लिए जूतों की रेंज 150 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है। अहमद ने बताया कि वह हर महीने करीब 50 जूतों की बिक्री कर लेता है जबकि विवाह के दौरान इन जूतों की बिक्री काफी बढ़ जाती है।
शहर में इन परंपरागत जूतों की कीमत 1200 से लेकर 3000 रुपये तक है। इन जूतों में सुनहरे रंग के धागे और जरी का इस्तेमाल भी किया जाता है