बिजली चाहिए या गंगा की धारा

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 07, 2022 | 2:43 AM IST

साल दर साल दर्जनों पनबिजली परियाजनाओं के निर्माण से क्या गंगा नदी का अस्तित्व खतरे में है? यह लाख टके का सवाल उत्तराखंड सरकार के गले की हड्डी बन गया है।


दरअसल राज्य के विभिन्न हिस्सों में पर्यावरणविद् ‘भागीरथी बचाओ’ अभियान चला रहे हैं और इस नदी पर बनने वाली पनबिजली परियोजनाओं को लेकर सरकार का विरोध कर रहे हैं।

उत्तराखंड देश के सबसे तेजी से विकसित हो रहे राज्यों में शामिल है। राज्य सरकार आने वाले तीन से दस साल में पनबिजली परियोजना के जरिए 25,000 से  30,000 मेगावाट बिजली उत्पादन करने की योजना बना रही है।

उल्लेखनीय है कि इस पहाड़ी राज्य में बिजली कारोबार के लिए रिलायंस एनर्जी, जीवीके, जीएमआर, एनएचपीसी, टीएचडीसी और एनटीपीसी जैसी बड़ी कंपनियां होड़ में हैं। लेकिन राज्य में बांधों को लेकर वातावरण सही नहीं है। राज्य के कुमाऊं क्षेत्र में पिथौरागढ़ जिले से लेकर गढ़वाल में चमोली तक, जितनी भी नई परियोजनाएं बनी हैं, उससे हजारों लोगों को बेघर होना पड़ा।

यही नहीं, कई शहरों और गांवों के लिए ये बांध मौत की घंटी भी साबित हुए हैं। पर्यावरणविदों ने आरोप लगाया कि भागीरथी नदी पर बनने वाली परियोजनाएं नदी को खा जाएंगी। इन परियोजनाओं के तहत जो सुरंगें बनने वाली हैं, उनसे यहां की स्थिति और भी भयावह हो जाएगी। उत्तराखंड की पहाड़ियों में बड़ी संख्या में लोग निवास करते हैं और वे यहां बनने वाले बांधों को लेकर काफी सहमे हुए हैं। अगर यहां निर्माण कार्य शुरू हो जाता है तो वे बेघर हो जाएंगे।

भागीरथी नदी पर बनने वाली परियोजनाओं और उससे हजारों लोगों के बेघर होने की आशंका के मद्देनजर पर्यावरणविद् बीते तीन महीनों से राज्य के विभिन्न शहरों में रैलियां निकालकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि टिहरी बांध देश के बड़े बांधों में से एक है लेकिन ज्ञात हो कि इससे करीब 100,000 लोगों की जिंदगी तहस-नहस हो गई थी। इस बांध के बनने से पुराने टिहरी शहर और अनेक गांव जलमग्न हो गए थे।

राज्य के पिथौरागढ़ जिले में 280 मेगावाट की धौलीगंगा परियोजना के निर्माण से अलीगढ़ गांव को हटाना पड़ा था। करीब दो साल पहले इस गांव से 24 परिवार को उनकी जड़ों से उखाड़ फेंका गया था। अलीगढ़ से 50 किमी की दूरी पर केंद्र सरकार अब 6,000 मेगावाट की पंचेश्वर पनबिजली परियोजना के  निर्माण कार्य की योजना बना रही है। यह परियोजना भारत-नेपाल सीमा पर काली नदी पर बनाया जाएगा। यह परियोजना टिहरी बांध के आकार की तीन गुनी होगी।

यह आशंका जताई जा रही है कि इस परियोजना के निर्माण से करीब 80,000 लोग बेघर हो जाएंगे। हालांकि इस परियोजना को लेकर यहां के स्थानीय लोगों द्वारा विरोध प्रदर्शन किया जा रहा है। यही नहीं, चमोली जिले के लोग भी विशाल सुरंग के निर्माण को लेकर काफी आक्रोशित हैं।

इसके अलावा जोशीमठ के नजदीक अलकनंदा नदी पर भी एक मेगा प्रोजेक्ट की वजह से जोशीमठ नगर के लिए समस्या उत्पन्न हो गई है। राज्य में बनने वाली परियोजनाओं और उससे लोगों पर पड़ने वाली मार की फेहरिस्त काफी लंबी है।

First Published : May 30, 2008 | 9:46 PM IST