करों से होने वाली कमाई को बढ़ाने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने नया रास्ता ढूंढ निकाला है।
राज्य सरकार ने फैसला किया है कि सरकारी जमीन को लीज पर देने की अनुमति के लिए अब संबंधित संस्था और कंपनी से शुल्क वसूला जाएगा।
इस साल राज्य सरकार को करों से होने वाली कमाई लगभग 2000 करोड़ रुपये कम होने की आशंका है। इसीलिए इसकी भरपाई करने के लिए राज्य सरकार कंपनियों, शिक्षा संस्थानों, अस्पतालों और हाउसिंग सोसायटियों द्वारा लीज पर ली गई सरकारी जमीन पर ऋण लेने के लिए शुल्क वसूलेगी।
दरअसल अगर कंपनियां इस जमीन पर ऋण लेती हैं तो उन्हें सरकार से अनापत्ति प्रमाणपत्र की जरूरत पड़ती है और सरकार इसी प्रमाणपत्र को कमाई का जरिया बनाने की योजना बना रही है। सरकार का यह फैसला ऐसे समय पर आया है जब पिछले एक साल से शेयरों के दाम ताश के पत्तों की तरह गिर रहे हैं।
इसके साथ ही कंपनियों की परिसंपत्तियों की कीमत भी घट गई है और उत्पादन भी कम हो गया है। इस कारण कंपनियों के लिए पूंजी का इंतजाम करना काफी मुश्किल हो गया है। सरकार व्यावसायिक और औद्योगिक संस्थानों से 0.5 फीसदी शुल्क वसूलेगी। जबकि ऋण लेने के लिए सरकारी अनुमति देने पर 0.25 फीसदी की दर से शुल्क वसूला जाएगा।
पिछले महीने भी राज्य सरकार ने कुछ ऐसा ही कदम उठाया था। पहले होने वाले प्रॉपर्टी ट्रांजेक्शन की कीमत का एक फीसदी शुल्क वसूला जाता था, लेकिन इसकी अधिकतम सीमा 30,000 रुपये थी। जबकि अब सरकार ने 30,000 रुपये की अधिकतम सीमा हटाकर शुल्क को ट्रांजेक्शन की कीमत का एक फीसदी ही कर दिया है।
महाराष्ट्र सरकार को इस साल स्टैम्प डयूटी एवं पंजीकरण, वाहन कर और वैट से लगभग 41,000 करोड़ रुपये की कमाई होने की उम्मीद थी, लेकिन करों से सरकार को 39,000 करोड़ रुपये की कमाई ही हो पाई है।
दरअसल, राज्य सरकार ने छठे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने की घोषणा भी कर दी। जिससे सरकार पर 8,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त आर्थिक भार पड़ा है। साथ ही किसानों के लिए ऋण माफी योजना पर भी सरकार को लगभग 6,200 करोड़ रुपये खर्च करने पड़ेंगे। आने वाले चुनावों को देखते हुए सरकार को अपने इन दोनों वादों को भी पूरा करना ही पड़ेगा।
मंदी के कारण करों से होने वाली कमाई की भरपाई के लिए सरकार ने निकाला नया रास्ता
करों से होने वाली कमाई में 2,000 करोड़ रुपये की कमी
सरकार व्यावसायिक और औद्योगिक संस्थानों से 0.5 फीसदी शुल्क वसूलेगी