एक साल पहले किशन कुमार काफी खुश नजर आ रहे थे। खुश भी क्यों न हो, उन्हें चार करोड़ रुपये जो मिले थे।
किशन कुमार ने अपनी करीब 20 एकड़ उपजाऊ जमीन रिलायंस इंडस्ट्रीज के हाथों बेच दी थी।इस जमीन को रिलायंस ने अपने 12,355 एकड़ क्षेत्र में बनने वाले झार विशेष आर्थिक क्षेत्र (सेज) के निर्माण के लिए खरीदा था। कुमार के चेहरे की खुशी अब न जाने कहां काफूर हो गई है और इस समय वह भी उन कई लोगों की जमात में शामिल हैं जो अपनी जमीन बेचने के फैसले पर पछतावा कर रहे हैं।
अपने निर्णय पर अफसोस जताते हुए झज्जर में कदी-तोई गांव के निवासी किशन कहते हैं ‘जब मेरे आस-पास के लोगों ने अपनी जमीन रिलायंस को 22 लाख रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से बेचने लगे तो मैंने भी उन लोगों की तरह अपनी 30 एकड़ जमीन में से 20 एकड़ उपजाऊ जमीन बेच दी।’ किशन कुमार की तरह ही कई ऐसे किसान हैं जो इस मानसिकता से गुजर रहें हैं।
विशेष आर्थिक क्षेत्र के निर्माण को लेकर कंपनियां भूमि के लिए किसान के पास जा रही हैं और किसान से जमीन खरीदने के लिए तरह-तरह की जुगत लगा रही हैं। वैसे किसानों के मन मे अपनी जमीन बेचने के बाद पछतावा करने का कारण सेज के नजदीक पड़ने वाली जमीन की कीमतों का आसमान छूना है। इसके अलावा अभी हाल में ही यह खबर फैली की हरियाणा सरकार सेज के आस-पास के जमीन के अधिग्रहण की कीमतों को बढ़ाकर प्रति एकड़ 55 लाख रुपये कर सकती है। इस खबर के बीच जिन लोगों ने अपनी जमीन पहले ही बेच दी है, वे और भी परेशान नजर आ रहे हैं।
लादपुर गांव में अपनी 6 एकड़ भूमि बेच चुके सतपाल की भी कहानी कुछ ऐसी ही है। सतपाल ने बड़े उदास मन से कहा कि ‘अगर अधिग्रहित जमीन की कीमतें बढ़ती हैं तो हमाने पास हाथ मलने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचेगा। हमने भी अगर दूसरे लोगों की तरह थोडा इंतजार किया होता तो हमें भी अपनी जमीन की दोगुनी कीमत मिलती।’
सतपाल ने कहा कि जिन लोगों ने अपनी जमीन को बेचा है वे या तो आर्थिक परेशानियों से गुजर रहे थे या उनकी जमीन अपेक्षाकृत उपजाऊ नहीं थी। प्रापर्टी ब्रोकरों ने अनुमान लगाया है कि रिलायंस इंडस्ट्रीज इस क्षेत्र में अब तक 9,000 एकड़ जमीन खरीद चुकी हैं। हालांकि रिलायंस ने इस बात को मानने से इंकार कर दिया है। झार और सुल्तानपुर के प्रॉपर्टी डीलरों का कहना है कि प्रस्तावित एसईजेड के आस-पास की जमीनों के दाम भी दोगुने और तीन गुने बढ़ गए है।