कानपुर के चमड़ा उद्योग को बिहार पलायन करने से रोकने के लिए आखिरकर उत्तर प्रदेश प्रशासन मुस्तैद हो ही गया है।
सरकार अब उद्योगों से शहर नहीं छोड़ने के लिए हर तरह के जतन कर रही है और उन्हें हर संभव मदद का आश्वासन दिया जा रहा है। दरअसल राज्य में उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) के बढ़ते नियामक दबाव, बिजली की कमी और स्थानीय अधिकारियों के उत्पीड़न से तंग आकर चमड़ा उद्योग को कानपुर छोड़ने का फैसला करना पड़ा है।
बताते चलें कि एक समय में पूर्व का मैनचेस्टर कहलाने वाले इस शहर में कपड़ा उद्योग लगभग दम तोड़ चुका है और कानपुर को अब मुख्यत: चमड़े के सामान के लिए ही जाना जाता है।औद्योगिक विकास आयुक्त अतुल कुमार गुप्ता ने उत्तर प्रदेश चमड़ा उद्योग संघ (यूपीएलआईए) और जाजमऊ टेनरी मालिक संघ (जेटीओए) के सदस्यों के साथ 22 अप्रैल को एक बैठक बुलाई है।
इस बैठक के दौरान कानपुर में चमड़ा उद्योग की शिकायतों को दूर करने की कोशिश की जाएगी। राज्य सरकार के राजस्व में चमड़ा उद्योग की महत्वपूर्ण हिस्सेदारी है जो हर साल 2,000 करोड़ रुपये से अधिक कर का भुगतान करता है। बैठक के दौरान इस क्षेत्र में चमड़ा उद्योग को बढ़ावा देने के लिए तैयार किए गए आठ सूत्रीय कार्यक्रम पर चर्चा की जाएगी।
शहर में प्रदूषण मानकों का पालन न करने के कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा बंद कराई गई 55 टेनरियों में से 33 को फिर से खोलने की कवायद भी शुरु हो गई है और इन टेनरी मालिकों से प्रदूषण मानकों का पालन करने वाली सभी औपचारिकताओं को शीघ्र पूरा करने को कहा गया है।
कानपुर और उसके करीब के उन्नाव जिले में करीब 400 चमड़े की छोटी बड़ी टेनरियां है यहां से चमड़े का सामान और कच्चा माल विदेशों में निर्यात किया जाता है और करीब 4000 करोड का वार्षिक कारोबार होता है। चमड़ा उद्योग पर गंगा को प्रदूषित करने का आरोप लगाया जाता है और गंगा की इस दशा के लिए लिए उद्योग को जिम्मेदार ठहराया जाता है। इसी कारण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की गाज यदा कदा इन टेनरियों पर गिरती रहती है और इन्हें बंद कराया जाता है।
यूपीएसआईडीसी (उत्तर प्रदेश राज्य औद्योगिक विकास निगम ) उन्नाव के नवाबगंज क्षेत्र में 1,000 एकड़ क्षेत्र में एक लेदर टेक्ालॉजी पार्क स्थापित करने की संभावना पर अध्ययन के लिए नोटिस जारी किया है। यूपीएसआईडीसी के क्षेत्रीय प्रबंध निदेशक संतोष कुमार ने बताया कि हम उद्योगपतियों और मजदूरों को बेहतर सुविधा मुहैया करने के लिए टेनरियों को जाजमऊ से उन्नाव में ले जाने पर विचार कर रहे हैं। इससे जाजमऊ के किनारे गंगा को साफ रखने में भी मदद मिलेगी।
चमड़ा उद्योग को लगातार बिजली मुहैया कराने के लिए कानपुर बिजली आपूर्ति कंपनी (केस्को) के अधिकारियों को समन जारी किया गया है कि आखिर जाजमऊ में अभी तक 220 एमवी क्षमता वाले बिजली स्टेशन की स्थापना क्यों नहीं हो सकी है। इस क्षेत्र की 200 से अधिक टेनरियों की आपातकालीन जरुरतों के लिए एक दमकल केन्द्र स्थापित करने का भी प्रस्ताव है। इसबीच जेटीओए ने प्रदूषण नियंत्रण नियमों को आसान बनाने की मांग की है।
इससे पहले उत्तर प्रदेश चमड़ा उद्योग संघ ने चमड़ा उद्योग को बिहार ले जाने की कोशिश शुरु कर दी थी और इस सम्बन्ध में टेनरी मालिकों से एक प्रतिनिधि मंडल पटना जाकर वहां के आलाधिकारियों से मिल आया था। साथ ही बिहार के अधिकारियों का एक प्रतिनिधि मंडल कानपुर आकर विस्तार से बातचीत कर चुका है।
संघ के मो इसहाक के अनुसार जब हमें यहां पर्याप्त सुविधाएं नही मिलेगी तो हम यहां क्या करेंगे जिस प्रदेश में हमे बेहतर सुविधाएं मिलेगी हम वहां जाएंगे। प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती द्वारा हाल ही में आगरा में चमड़ा उद्योग को राहत दिए जाने की घोषणाओं के बाद कानपुर का जिला प्रशासन भी सर्तक हो गया।
एक नजर में कानपुर का चमड़ा उद्योग
कारोबार: करीब 4,000 करोड़ रुपये का वार्षिक कारोबार
टेनरी: 400 से अधिक छोटी बड़ी टेनरियां, फिलहाल 55 टेनरी बंद
राजस्व: राज्य सरकार के राजस्व में 2,000 करोड़ से अधिक का अंशदान
रोजगार: 1 लाख लोगों को सीधे तौर पर रोजगार देता है उद्योग
निर्यात: अमेरिका, आस्ट्रेलिया, इंग्लैण्ड, दक्षिण अफ्रीका और यूरोपीय देश